Ongc to hunt for gas in himachal’s kangra valley | इस मंदिर बिना तेल गैस 55 साल से जल रही आग, रहस्य खोजने पहुंची ओएनजीसी

Ongc to hunt for gas in himachal’s kangra valley | इस मंदिर बिना तेल गैस 55 साल से जल रही आग, रहस्य खोजने पहुंची ओएनजीसी

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* Hindi * Viral * Ongc To Hunt For Gas In Himachals Kangra Valley ओएनजीसी ने यहां तेल व गैस खोजने की जिम्मेदारी राजस्थान व दिल्ली की कंपनी दीपक इंडस्ट्रीज को दिया है. दीपक इंडस्ट्रीज ने


खुदाई मशीनें सुराणी में पहुंचा दी हैं. नई दिल्ली। लाखों-करोड़ो लोगों के आस्था का केंद्र ज्वालामुखी मंदिर में जल रही ज्योति का रहस्य आज तक कोई वैज्ञानिक नहीं खोज पाया. कहा जाता है कि हिमाचल


स्थित इस मंदिर मे 55 सालों से यह ज्योति जल रही है. पिछले 55 सालों से ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) के वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाने के लिए इलाके के एक-एक कोने को पूरी


ताकत लगाकर छान मारा लेकिन असफल रहे.  वैज्ञानिकों को ज्योति जलने के पीछे कहीं न कहीं तेल या गैस स्त्रोत होने का अंदेशा था जो अब तक नहीं सुलझ सका, अब वैज्ञानिकों ने एक बार फिर रहस्य से पर्दा


हठाने की ठानी है… जमीन के नीचे कई किलोमीटर होगी खुदाई- भास्कर वेबसाइट के अनुसार ओएनजीसी ने एकबार फिर तेल व गैस को खोजने का प्रयास शुरू किया है. सर्च अभियान की शुरुआत ज्वालामुखी के चंगर


क्षेत्र सुराणी से शुरू होगी. ओएनजीसी ने यहां तेल व गैस खोजने की जिम्मेदारी राजस्थान व दिल्ली की कंपनी दीपक इंडस्ट्रीज को दिया है. दीपक इंडस्ट्रीज ने खुदाई मशीनें भी सुराणी में पहुंचा दी हैं.


सुराणी गांव के प्रधान रह चुके प्रताप सिंह राणा ने कहा कि इस बार आधुनिक मशीने आई हैं. ये जमीन में गहराई तक तेल और गैस खोजने में मददगार साबित होंगी क्योंकि ये मशीनें जमीन के भीतर 8000 मीटर तक


खुदाई करने मे सक्षम हैं. सुराणी में पांचवी बार कुआं खोदा जा रहा है, सबसे पहला कुंआ 1959 में खोदा गया था. ओएनजीसी 1959 से लगभग 55 सालों से यहां के कई जगहों पर तेल की खोज का प्रयास कर चुकी है


लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी. पांडवों ने खोजा था मंदिर माता की प्रमुख शक्ति पीठों में गिनी जाने वाली ज्वालामुखी देवी को जोतां वाली का मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर को खोजने का श्रेय


पांडवों को दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी. पृथ्वी के गर्भ से निकल रही है 9 ज्वालाएं यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहां पर किसी


मूर्ति की पूजा नहीं होती है बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही 9 ज्वालाओं की पूजा होती है. यह मंदिर जमीन से 9 अलग-अलग जगहों पर निकल रही ज्वाला के ऊपर स्थित है. इन 9 ज्योतियों को महाकाली,


अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका, अंजीदेवी के नाम से पुकारा जाता है. बताया जाता है कि मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद ने करवाया था जिसे बाद में


पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह और हिमाचल के राजा संसार चंद ने 1835 में पूर्ण निमार्ण कराया. ALSO READ: ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें.


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