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By: Molly Seth | Updated Date: Wed, 25 Jan 2017 10:12:28 (IST) इंडियन क्रिकेट के उभरते सितारे चेतेश्वर पुजारा का पूरा नाम चेतेश्वर अरविंद पुजारा है। 25 जनवरी 1988 को राजकोट में जन्मे पुजारा
के करियर में उनकी मां रीना का बड़ा योगदान रहा है। उन्हें कैंसर था और वो पुजारा की सफलता अपनी आंखों नहीं देख सकीं। 2005 में जब पुजारा अंडर 19 मैच खेलने निकले हुए थे तब उनकी अपनी मां से आखिरी
बार बात हुई थी। अगले दिन स्टेडियम पहुंचते ही उन्हें मां की मृत्यु की खबर मिली। ठीक उसी दिन उनकी मां की मौत की खबर आई। उसके बाद से पुजारा क्रिकेट को मां के सपने की तरह जिया है। 2010 में
उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यु किया था। आइये जानें उनसे जुड़ी कुछ और खास बातें। बेशक चेतेश्वर पुजारा को प्रोत्साहित करने में उनकी मां का हाथ था पर उनकी प्रतिभा को महज दो साल की उम्र में ही
उनके पिता ने पहचाना था। उस उम्र की एक तस्वीर में पुजारा हवा में आती गेंद पर पूरी तन्मयता से आंखे गड़ाये दिखाई दे रहे हैं। अपने शुरूआती दौर में पुजारा गेंदबाजी भी करते थे और उनका लक्ष्य एक
बेहतरीन ऑलराउंडर बनने का था। 12 साल की उम्र में स्वराष्ट्र की टीम से खेलते हुए एक अंडर 14 मैच में उन्होंने बड़ौदा के खिलाफ 306 रन बनाने का कमाल किया था। सबसे तेज हॉफ सेंचुरी लगाने वाले
दुनिया के 10 बल्लेबाज
SCHOOL CRICKET TOURNAMENT: क्रिकेट कोचिंग सेंटर ने सेमीफाइनल में किया प्रवेश यह भी पढ़ें अपने छोटे से करियर में पुजारा छह तिहरे शतक बना चुके हैं। पुजारा का बैटिंग एवरेज विश्व के लिस्टर
क्रिकेटर्स में सिर्फ माइकल बेवन से कम है। जहां बेवन का औसत 57.86 का है वहीं पुजारा का औसत 54.01 का है। उनके सबसे तेज टैस्ट मैच में 1000 रन बनाने का रिकॉर्ड भी है। एक बार एक साक्षात्कार के
दौरान पुजारा ने कहा था कि वे हवाई जहाज पायलट बनना चाहते ना कि क्रिकेटर। कोहली ने बचाया 17 साल की उम्र में पहला ऑटोग्राफ देने वाले युवराज सिंह का करियर
क्रिकेट एकेडमी ऑफ पटना और 22 यार्ड क्रिकेट एकेडमी जीता यह भी पढ़ें बचपन से लेकर किशोरावस्था तक चेतेश्वर बेहद गोरे थे। उनके फेयरकांप्लेक्शन के चलते स्कूल में साथी उन्हें अलग नामों से चिढ़ाते
थे। चेतेश्वर ना सिर्फ खेल में शानदार हैं बल्कि वे पढ़ाई में भी टॉपर रहे हैं। वे हर परीक्षा में क्लास के टॉप थ्री स्टूडेंटस में शामिल रहे हैं। इतना ही नहीं वे क्लास के मॉनीटर भी थे। पुजारा
देखने में बेहद शर्मीले और खामोश शख्स लगते हैं लेकिन वास्तव में वो इसके बेहद उल्टे रहे हैं। वे हमेशा हर कार्यक्रम, क्लास और ग्रुप में लीडर की तरह पेश आते हैं। विराट को भाता है जापानी खाना तो
धोनी का दिल है हिंदुस्तानी ये हैं आपके फेवरेट क्रिकेटर्स के पसंदीदा फूड
CRICKET NEWS: लर्निंग स्कूल आफ क्रिकेट और वाईसीसी ने जीता मैच यह भी पढ़ें सातवीं क्लास में जब स्कूल की क्रिकेट टीम ना होने के कारण उन्हें अपना पुराना स्कूल बदलना पड़ा तो वे बेहद दुखी हुए थे।
वो दुख देश के लिए खेलने का मौका मिलने के बाद अब कम हो गया है।
Cricket News inextlive from Cricket News Desk
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