एक्सएलआरआई कैंपस में उत्साह का माहौल

एक्सएलआरआई कैंपस में उत्साह का माहौल

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-एनसेंबल-वलहल्ला में देश भर के बिजनेस स्कूल के स्टूडेंट्स भाग लेने के लिए पहुंचे हैं JAMSHEDPUR: एक्सएलआरआइ के वार्षिक समारोह एनसेंबल-वलहल्ला में देश भर के बिजनेस स्कूल के स्टूडेंट्स भाग


लेने के लिए पहुंचे हैं। कोई पुराने दोस्तों को देख आश्चर्य से सीने से लगा रहा था तो कोई एक्सएलआरआइ के वातावरण की प्रशंसा करने में नहीं चूक रहा था। एक्सएलआरआइ की सफलतम मेजबानी की हर जगह चर्चा


थी। एक्सएलआरआइ के देश भर में फैले शाखाओं से भी छात्र जमशेदपुर पहुंचे हैं। कोई फूड स्टॉल पर लजीज व्यंजनों का मजा ले रहा था तो कोई चिल आउट जोन में मस्ती कर रहा था। इस दौरान खेल प्रतियोगिता का


भी आयोजन किया गया। भले ही मैदान के बाहर दोस्त हो, लेकिन मैदान पर प्रतिद्वंद्विता ऐसी कि बस विरोधियों को हराने के लिए जी जान लगा दे रहे थे। फ्यूचर लीडर्स प्रोग्राम में प्लस वन व टू के छात्र व


छात्राओं ने हिस्सा लिया। उनके लिए भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। टीम बिल्डिंग एक्टिविटी के तहत छात्रों को संवाद की महत्ता के बारे में जानकारी दी गई। भरतनाट्मयम की शानदार प्रस्तुति उद्घाटन


समारोह के दौरान टाटा ऑडिटोरियम में में स्पीक मैके जमशेदपुर चैप्टर की ओर से भरतनाट्मयम की प्रस्तुति दी गई। सरोजा वैद्यनाथन की पांच सदस्यीय ग्रुप ने पौराणिक कथाओं को नृत्य के माध्यम से प्रतसुत


कर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। आइआइएम कोलकाता चैंपियन शाम पांच बजे ग्रुप डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें आइआइएम कोलकाता के विद्यार्थियों ने न सिर्फ अपने नृत्य से युवाओं को


झूमने पर मजबूर कर दिया, बल्कि चैंपियन का सेहरा भी अपने सिर बांध लिया। मेजबान एक्सएलआरआइ जमशेदपुर को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। इसके अलावा कई खेल गतिविधियों का भी आयोजन किया गया। बैंड की


धुन पर थिरके युवा रात के आठ बजते ही टाटा ऑडिटोरियम में युवाओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। यहां प्रोड्यूसर तुषार लाल की इंडियन जैम प्रोजेक्ट बैंड युवाओं को अपनी धुन पर थिरकाने की तैयारी कर


चुके थे। तुषार लाल के साथ सितार पर प्रसाद रेहाणे, तबला पर समय लालवानी, सारंगी पर संदीप मिश्रा, बांसुरी पर प्रथमेश सालुंके व परकसन (आघात वाद्य यंत्र) पर विवान कपूर संगत दे रहे थे। बॉलीवुड


फिल्म 'गेम्स ऑफ थ्रोंस' की धुन जैसे ही बजना शुरू हुआ, ऑडिटोरियम में मानो नशा छा गया। सभी भारतीय व यूरोपियन संगीत के सम्मिश्रण की प्रशंसा कर रहे थे। गिटार बजाते जैसे ही तुषार मंच पर


अवतरित हुए, युवतियां चिल्लाने लगीं। तुषार ने फिल्म 'पाइरेट्स ऑफ द कैरीबियन' के 'हीज ए पायरेट' पर भी युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। टाइटैनिक, हैरी पॉटर की गीत पर तो


युवा नृत्य करते नजर आए। छोटी सक्सेस को सेलेब्रेट नहीं करते हम भारतीय : दामोदरन सफलता छोटी हो या बड़ी, सभी का अपना महत्व है। लेकिन हम भारतीयों की बुरी बात है कि छोटी सफलता को हम सेलेब्रेट


नहीं करते। बड़ी सफलता की आशा में घुटते रहते हैं। अंत में न माया मिली ना राम। यह कहना था सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन का। दामोदरन एक्सएलआरआइ के


वार्षिक समारोह एनसेंबल-वलहल्ला में भाग लेने शहर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि छोटी सफलता पर भी मुस्कुराना सीखिए, तभी जिंदगी में सकारात्मकता आएगी। हम नकारात्मकता पर निराश जरूर होते हैं, असफलता


मिलने पर उदास होते हैं और बुराई पर अफसोस जताते हैं। ऐसी चीजों से ऊपर उठना चाहिए, तभी जिंदगी में हम सफल हो सकते हैं। जिंदगी सीढ़ी की तरह है, जहां ऊंचाई तक पहुंचने में कदम दर कद प्रयास करना


होता है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय अपनी सफलता का जश्न मनाने से ज्यादा आलोचना से परेशान रहते है। एक भारतीय दूसरे भारतीय की आलोचना करते हैं, जबकि हमारे पड़ोसी देश चीन में ऐसा कभी नहीं होता।


पूर्वोत्तर राज्यों का पिछड़ना चिंताजनक यूटीआइ व आइडीबीआइ के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन ने पूवरेत्तर राज्यों के धीमी विकास पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत के विकास के लिए सभी राज्यों का


समुचित विकास जरूरी है। भारत के पूर्वोत्तर के राज्य अन्य राज्यों की तुलना पिछड़ रहे है, यहां शासन में सुधार की जरूरत है। इन क्षेत्रों में बैंकिंग की सुविधाएं बेहतर बनानी होगी। इसके लिए आपको


नेतृत्व करना होगा। नेतृत्व करना युवाओं की जिम्मेदारी है, देश तब ही आगे बढ़ेगा। आर्थिक असमानता से बढ़ेंगी मुश्किलें ख्00भ् से ख्008 तक सेबी के चेयरमैन रहे एम दामोदरन ने कहा कि भारत में आर्थिक


असमानता बढ़ रही है। अमीरों व गरीबों की बीच बढ़ती खाई चिंता का विषय है। संपत्ति का सही तरीके से वितरण नहीं होने से असंतोष बढ़ेगा, जो किसी भी देश के विकास में रोड़ा बनता है। ऐसी स्थिति में


सुधार जरूरी है। विकास का लाभ सभी को मिलना जरूरी है। हमलोग कमी को दूर करने की तरीके निकालते है, पर इसे खत्म करने की ओर नहीं बढ़ रहे है। आज 'हैंड टू माउथ' वाली स्थिति आज के युवा सपने


देखते हैं। उसे साकार करने के लिए हाड़ तोड़ मेहनत भी करते हैं। लेकिन आज वे जो भी कमाते हैं, बस 'हैंड टू माउथ' है। बचत करना मुश्किल होता जा रहा है। एम दामोदरन ने कहा कि हमारे जमाने


में यह स्थिति नहीं थी। तब 'शिप टू माउथ' था। बचत की आदत होती थी, ताकि भविष्य सुरक्षित रहे। एक्सएलआरआइ में नई सोच का हमेशा स्वागत इसके पूर्व एक्सएलआरआइ के निदेशक फादर ई इब्राहिम ने


कहा कि एक्सएलआरआइ हमेशा नए नजरिए और सोच को हमेशा प्रोत्साहित करता है। एंसेंबल और वलहल्ला इसी प्रक्त्रिया का हिस्सा होता है। इस दौरान एक्सएलआरआइ के डीन एकेडमिक्स डॉ। आशीष के पाणि भी मौजूद थे।