अब माक्र्स को लेकर नहीं होग कन्फ्यूजन

अब माक्र्स को लेकर नहीं होग कन्फ्यूजन

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BY: INEXTLIVE | Updated Date: Fri, 03 Jan 2014 11:09:10 (IST) अब माक्र्स को लेकर नहीं होग कन्फ्यूजन क्र्रहृष्ट॥ढ्ढ (२ छ्वड्डठ्ठ):  अगर आप अपने रिजल्ट से सैटिस्फाइड नहीं हैं। फेल कर गए हैं


अथवा किसी पेपर में कम माक्र्स मिले हैं तो एग्जाम कॉपी की स्क्रूटनी करा सकते हैं। रांची यूनिवर्सिटी मे स्क्रूटनी के लिए अप्लीकेशन लिए जाते हैं। स्टूडेंट्स कॉलेज के थ्रू कॉपी की स्क्रूटनी के


लिए अप्लाई कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी हेडक्वार्टर स्थित एग्जामिनेशन डिपार्टमेंट में डेली कॉपीज की स्क्रूटनी हो रही है। स्टूडेंट्स को स्क्रूटनी से फायदा है कि अगर कॉपी में माक्र्स ज्यादा होंगे


तो आपका फ्रेश रिजल्ट बनेगा, पर कम माक्र्स होंगे तो पुराना रिजल्ट ही वैलिड रहेगा। ऐसे में माक्र्स के कम होने की कोई गुंजाइश स्क्रूटनी में नहीं है। यही वजह है कि अब बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स


कॉपीज की स्क्रूटनी के लिए रांची यूनिवर्सिटी में अप्लाई करते हैं. माक्र्स की होती है री-टोटलिंग  आरयू ने लास्ट ईयर स्क्रूटनी से रिलेटेड न्यू गाइडलाइन जारी किए हैं। इसके तहत कॉपी में मिले


माक्र्स की री-टोटलिंग होती है, चेकिंग नहीं। ग्रेजुएशन, पीजी अथवा किसी और कोर्स के रिजल्ट पब्लिकेशन के बाद स्क्रूटनी के लिए अप्लीकेशन मांगे जाते हैं। कुछ दिनों पहले पार्ट वन का रिजल्ट निकला


है। इस रिजल्ट के बाद करीब चार सौ स्टूडेंट्स स्क्रूटनी के लिए अप्लाई कर चुके हैं।  इससे पहले पार्ट टू के 250 और  बीटेक के 500 स्टूडेंट्स भी कॉपी की स्क्रूटनी के लिए अप्लाई किया था.  डेली हो


रही है स्क्रूटनी  स्क्रूटनी सिस्टम से रिजल्ट में ट्रांसपरेंसी की संभावना बढ़ गई है। कोई भी स्टूडेंट्स स्क्रूटनी के जरिए कॉपी में मिले माक्र्स की री-टोटलिंग करा सकता है। एग्जामिनेशन


डिपार्टमेंट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार जीएस तिवारी ने बताया कि यहां डेली कॉपीज की स्क्रूटनी होती है. माक्र्स की होती है री-टोटलिंग  आरयू ने लास्ट ईयर स्क्रूटनी से रिलेटेड न्यू गाइडलाइन जारी किए


हैं। इसके तहत कॉपी में मिले माक्र्स की री-टोटलिंग होती है, चेकिंग नहीं। ग्रेजुएशन, पीजी अथवा किसी और कोर्स के रिजल्ट पब्लिकेशन के बाद स्क्रूटनी के लिए अप्लीकेशन मांगे जाते हैं। कुछ दिनों


पहले पार्ट वन का रिजल्ट निकला है। इस रिजल्ट के बाद करीब चार सौ स्टूडेंट्स स्क्रूटनी के लिए अप्लाई कर चुके हैं।  इससे पहले पार्ट टू के 250 और  बीटेक के 500 स्टूडेंट्स भी कॉपी की स्क्रूटनी के


लिए अप्लाई किया था.  डेली हो रही है स्क्रूटनी  स्क्रूटनी सिस्टम से रिजल्ट में ट्रांसपरेंसी की संभावना बढ़ गई है। कोई भी स्टूडेंट्स स्क्रूटनी के जरिए कॉपी में मिले माक्र्स की री-टोटलिंग करा


सकता है। एग्जामिनेशन डिपार्टमेंट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार जीएस तिवारी ने बताया कि यहां डेली कॉपीज की स्क्रूटनी होती है।