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- शहर में ई-रिक्शाओं की संख्या पहुंची 4 हजार के पार - ई रिक्शा में सुरक्षा मानकों की कोई जांच नहीं - मेरठ में सिर्फ छह कंपनियों को है ई-रिक्शा बेचने की मान्यता - आरटीओ ऑफिस में अभी तक महज 35
ई-रिक्शाओं ने कराए रजिस्ट्रेशन सुंदर चंदेल >Meerut : अगर आपको भी ई रिक्शा का सफर भाने लगा है तो इस खबर को ध्यान से पढ़ लीजिए, क्योंकि मुश्किल राहों पर सफर को आसान करने वाले ई-रिक्शा आपके
लिए खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। कानपुर और दिल्ली में बैटरी फटने से हुए हादसे इसका खुलासा भी कर चुके हैं। कुछ ऐसा ही हादसा मेरठ में भी संभव है। ई रिक्शा मालिक ने उसकी बैटरी चार्जिग पर लगाई,
लेकिन 8 घंटे में फुल चार्ज होने वाली बैटरी 6 घंटे बाद ही बम की तरह फट गई। इस हादसे के बाद ई रिक्शा में सुरक्षा से जुड़े कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। क्योंकि हजारों सवारियों को ढोने वाले ये ई
रिक्शा कभी भी 'बम' बन सकते हैं और तो और इनमें सफर के दौरान हादसा हो जाने पर किसी तरह का क्लेम भी नहीं किया जा सकता है। मंत्रालय देगा सर्टिफिकेट आपको बता दें कि ई रिक्शा बनाने वाली
कंपनियों में पूरे देश में सिर्फ पांच कंपनियों के मॉडल को अप्रूव किया गया है। जबकि हकीकत में 20 से ज्यादा कंपनियों के ई रिक्शा रोड्स पर चल रहे हैं। पूरे देश में सिर्फ पांच कंपनियों को ही
ई-रिक्शा बनाने का अधिकार है। लेकिन सिटी में कुछ लोकल कंपनियां भी हैं जो इस काम में पूरे तरह से लगी हुई हैं। जिन पर कोई कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कंपनी की पता नहीं विभागीय जानकारी के अनुसार
टेक्निकल ग्राउंड पर चेकिंग होना बेहद जरूरी है। परिवहन मंत्रालय दिल्ली से इसका सर्टिफिकेट जारी होता है। ई रिक्शा बनाने वाली कंपनियों के मॉडल्स का कुछ अता-पता नहीं है। ऐसी स्थिति में ई रिक्शा
में लगने वाले इंजन, बैटरी उसकी बॉडी की कैपेसिटी आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आलम ये है कि मानकों को लेकर भी अभी तक स्थिति को साफ नहीं किया जा सका है। नहीं मिलेगा क्लेम ई रिक्शा के
साथ सुरक्षा मानकों की एक और बड़ी कमी है। सिटी में चल रहे ई रिक्शों का अभी तक रजिस्ट्रेशन तक नहीं हुआ है। जिसके चलते ई रिक्शा से एक्सीडेंट होने पर कोई क्लेम नहीं बनता है। न ही किसी एक्सीडेंट
की दशा में ई रिक्शा को पकड़ा जा सकता है, क्योंकि रिक्शों में कोई नंबर नहीं होता है और ऐसे में हादसे के बाद फरार हो चुके रिक्शा चालक को पकड़ने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। वहीं दूसरी ओर ई
रिक्शा चालक के पास कोई लाइसेंस है कि नहीं, इसकी भी अभी तक कोई जांच नहीं हुई है। दिल्ली में लगाई गई थी रोक दिल्ली हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रेशन के अभाव में ही ई रिक्शा पर रोक लगाई थी। दिल्ली में ई
रिक्शा की चपेट में आने से एक बच्चे की मौत हो गई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इनके चलने पर रोक लगाई थी। सिटी में 4 हजार ई रिक्शा इस समय सिटी में 4 हजार से अधिक ई रिक्शा दौड़ रहे हैं। जो सिटी के
विभिन्न इलाकों में सवारियों को ढो रहे हैं। पिछले डेढ़ साल में शहर भर में ई रिक्शा की अचानक से बाढ़ आ गई है। सिटी की किसी भी रोड या चौराहे की तरफ निकल जाइए, आपको ई रिक्शा आसानी से देखने को
मिल जाएगी। आरटीओ नियमों के मुताबिक कोई भी कमर्शियल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहन का 3 माह, 6 माह व 1 साल के अंतराल में फिटनेस टेस्ट होता है, लेकिन ई रिक्शा के साथ अभी तक ऐसा कुछ नहीं है।
क्या हैं नियम? - ई रिक्शा में पीछे अधिकतम 4 पैसेंजर्स ही बैठ सकते हैं। - अधिकतम 40 किलो का सामान ही लोड किया जा सकता है। - 200 वॉट से अधिक की बैटरी लगाने पर प्रतिबंध है। - माल वाहन ई रिक्शा
में अधिकतम 140 किलो तक माल लादा जा सकता है। - बैटरी की क्वालिटी का कोई पता नहीं है। कलपुर्जो जैसे ब्रेक, लाइट, हॉर्न, टायर की क्वालिटी का भी कुछ पता नहीं है। - ई रिक्शा सिर्फ नगर-निगम व
ग्राम पंचायत के सीमा क्षेत्रों में चल सकते हैं। इन्हें राजमार्गो पर चलने की अनुमति नहीं है। -शहर की सड़कों पर चलने वाले हर ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन, फिटनेस व ड्राइवर के पास ई-रिक्शा बहुत
जरूरी है। फेक्ट एंड फीगर - ई- रिक्शा 4 हजार, रजिस्ट्रेशन केवल 35 ने कराया -नगर निगम में रिकॉर्ड 1700 ई रिक्शाओं का - डीएल केवल 20 फीसदी ई- रिक्शा चालकों के पास -फिटनेस अभी तक किसी ने नहीं
कराया मेरठ में ई-रिक्शा बेचने की मान्यता - निखिल फर्नीचर प्राइवेट लिमिटेड -तुकराल इलेक्ट्रॉनिक -हीरो व्हीकल प्राइवेट लिमिटेड -नाइट व्हीकल प्राइवेट लिमिटेड - इंडिया प्राइवेट लिमिटेड - मिनी
मेट्रो प्राइवेट लिमिटेड देश में लगभग पांच कंपनियां ई-रिक्शा बनाती है। साथ ही मेरठ में केवल 6 कंपनियों को ई-रिक्शा बेचने की मान्यता है। इसके अलावा जितने भी ई-रिक्शा चल रहे हैं सब इंलिगल है।
-दीपक शाह, एआरटीओ