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-ऑपरेशन स्माइल सेकेंड फेस धड़ाम, महज तीन बच्चे हुए रेस्क्यू -पुलिस-प्रशासन की नजरअंदाजी के चलते परवान नहीं चढ़ा बड़ा अभियान Meerut : 'ऑपरेशन स्माइल' के दूसरे फेस में मेरठ के हाथ
खाली हैं। ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस के इस अभियान को नजीर मानकर बेशक देशभर 'मासूम' की फिक्र में जाग गया हो लेकिन मेरठ प्रशासन अभी भी नींद में है। एक जनवरी से आपरेशन
स्माइल का दूसरा चरण चल रहा है तो मेरठ में मंगलवार को महज तीन बच्चे रेस्क्यू किए गए हैं। ऑपरेशन का सेकंड फेस ऑपरेशन स्माइल की सक्सेस के बाद प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास रेणुका कुमार ने
सूबे के सभी डीएम को 1 जनवरी से ऑपरेशन स्माइल के सेकेंड फेस को शुरू करने के निर्देश दिए थे। बचपन बचाओ आंदोलन के तहत चलाए जा रहे इस अभियान में खोये बच्चों को उनके घर तक पहुंचाने और बच्चों की
तस्करी को रोकना है। मजे की बात यह है कि पड़ोसी जनपद गाजियाबाद में पुलिस ने अभियान के दूसरे फेस में 65 बच्चों को रेस्क्यू कर लिया जबकि मेरठ के हाथ अभी खाली हैं। क्या करना है? -जिला प्रोवेशन
अधिकारी, बाल संरक्षण ईकाई, बाल कल्याण समिति, विशेष किशोर पुलिस ईकाई, चाइल्ड लाइन, एनजीओ और मीडिया के माध्यम से खोए बच्चों को तलाशने के लिए सघन अभियान चलाना है। -बाल गृहों एवं कल्याण समितियों
के माध्यम से खोए और बरामद बच्चों के आंकड़ों का मिलान करना है। -बरामद बच्चों के परिवारों को ढूंढकर बाल कल्याण समिति में माध्यम से उन्हें सुपुर्द करना। एक एनजीओ भी है नामित एक माह तक चलने
वाले ऑपरेशन स्माईल के लिए सरकार द्वारा एक एनजीओ भी नामित किया गया है। मेरठ में एक गैर सरकारी संस्था को अभियान में सहयोग के लिए निर्देशित किया गया है। प्रशासन की नजरअंदाजी एनजीओ की मौजूदगी पर
भारी है। सिफर रहा पिछला अभियान एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के एक अधिकारी के बात पर गौर करें तो ऑपरेशन स्माईल की मेरठ पोजीशन क्लियर हो रही है। गत दिनों एक माह के लिए चलाए गए अभियान में 32
बच्चों को रेस्क्यू किया गया। गुमशुदा बच्चों को तो उनके परिवार वाले ले गए किंतु जो बच्चे भीख मांगते हुए पकड़े गए थे वे आज भी प्लेटफार्म और बस अड्डों पर हैं। अफसर ने बताया कि पेरेन्ट्स
रेस्क्यू बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश होकर ले तो जाते हैं किंतु वे दोबारा 'स्टेशन' पर ही छोड़ आते हैं। सिसक रही 'लक्ष्मी' ऑपरेशन स्माइल फेस फर्स्ट और सेकेंड
के बीच में एक लड़की लक्ष्मी रेस्क्यू हुई थी। स्कूली छात्राएं उसे महिला थाने छोड़ आई थी। मासूम को महिला थाने की इंस्पेक्टर नर्गिस खान ने दोबारा रैकेट को सौंप दिया। जांच चल रही है किंतु महिला
अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। अफसोसजनक है कि लक्ष्मी को ढूंढ तो सब रहे हैं किंतु उसका फोटो किसी के पास नहीं है। यहां सिसक रहा बचपन जीरो माइल पर भीख मांगने वाले बच्चों की गिनती मुश्किल
है तो वहीं रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर रैकेट्स बच्चों से खुलेआम भीख मंगवा रहे हैं। कैंची उद्योग में बच्चों के हाथ गल रहे हैं तो मेरठ के पतंग और रेवड़ी के कारखानों में बचपन सिसक रहा है। शहर
का हजारों 'बच्चा' रोजाना आंख खुलने के बाद से सोने तक भटक रहा है, कहीं मां-बाप ने बचपन का दम घोट दिया है तो कहीं मानव तस्कर उसकी सांसों का सौदा कर रहे हैं। अफसोस! हम ऑपरेशन स्माईल
का सेकेंड फेस मना रहे हैं। 'मजबूर' के ठिकाने -मेवला पुल के समीप होटल मुकुट महल के पीछे ध्यानचंद नगर मलिन बस्ती। -मेरठ कैंट रेलवे स्टेशन के समीप घुमंतुओं की मलिन बस्ती। -जीरो माइल
से नाले के सहारे बसी मलिन बस्ती। -लिसाड़ी गेट, ब्रह्मापुरी क्षेत्र, कबाड़ी बाजार, हापुड अड्डा आदि। -कासमपुर, शिवचौक और सरधना चौपला। मंगलवार को तीन बच्चे रेस्क्यू एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल
के प्रभारी अशोक शर्मा के निर्देशन में मंगलवार को घंटाघर और कैंट रेलवे स्टेशन से तीन बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। इन बच्चों की उम्र 12 से 17 वर्ष के बीच है। बच्चे (लड़के) लावारिश हैं और
इन्हें बाल गृह में रखा गया है। ऑपरेशन स्माईल के तहत भीख मांग रहे, कारखानों में काम कर रहे घरों में नौकरी कर रहे और उत्पीड़न का शिकार को रहे बच्चों को रेस्क्यू करना है। सेकेंड फेस में बिग
टारगेट है। जिम्मेदारों से पूछा जाएगा किया आखिर क्यों रेस्क्यू टीम मूव नहीं कर पा रही हैं। -पंकज यादव, डीएम, मेरठ