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जिले के सरकारी स्कूल में 12 विद्यार्थियों सहित 15 लोगों के कोरोना पाजिटिव आने के बावजूद लोग जागरूक नहीं हो रहे। स्कूलों में स्टाफ भी लापरवाह हो गया है। By JagranEdited By: Updated: Sat, 20
Feb 2021 09:22 PM (IST) जासं, बठिडा: जिले के सरकारी स्कूल में 12 विद्यार्थियों सहित 15 लोगों के कोरोना पाजिटिव आने के बावजूद लोग जागरूक नहीं हो रहे। स्कूलों में स्टाफ भी लापरवाह हो गया है।
यही कारण है कि डीईओ के आदेश के बावजूद केनाल कालोनी स्थित सरकारी आदर्श स्कूल के स्टाफ ने कोरोना टेस्ट करवाने से साफ इंकार कर दिया। स्कूल के 40 स्टाफ सदस्यों में से 37 ने कंसेंट लेटर पर साफ
तौर पर 'नो' लिखकर अपनी लापरवाही का सुबूत पेश कर दिया है। सेहत विभाग सिर्फ तीन लोगों के ही सैंपल ले पाया। मजबूरी यह है कि बिना कंसेंट के किसी के सैंपल भी नहीं लिए जा सकते। दरअसल,
शनिवार को सेहत विभाग की टीम केनाल कालोनी स्थित सरकारी आदर्श स्कूल पहुंची। टीम ने कंसेंट लेटर दिया तो सभी ने इंकार कर दिया। सिर्फ तीन सदस्यों ने ही कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल दिए। बाकी सदस्यों
के सैंपल लिए बिना ही टीम को लौटना पड़ा। मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। पहले ही इंकार के कारण बंद की गई थी सैंपलिंग यह पहली बार नहीं है कि जब स्कूल टीचर व स्टाफ ने कोरोना
टेस्ट के लिए सैंपल देने से इंकार किया हो। इसके चलते सेहत विभाग ने स्कूलों में जाकर सैंपल लेने बंद कर दिए थे, लेकिन दो दिन पहले जिले के गांव कटार सिंह वाला के सरकारी हाई स्कूल के 15 लोगों की
कोरोना रिपोर्ट मिलने के बाद सेहत विभाग ने जिले के सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूल के टीचर व स्टाफ मेंबर्स के कोरोना टेस्ट करने का फैसला लिया ताकि मासूम बच्चे कोरोना की चपेट में न आ सकें। न
आदेशों की परवाह, न बच्चों की चिंता सेहत विभाग की तरफ से जिला शिक्षा अधिकारी के जरिए सभी स्कूलों को एक पत्र जारी कर अपने-अपने स्कूल के टीचर व अन्य स्टाफ मेंबर्स के कोरोना टेस्ट करवाने के आदेश
भी दिए गए थे। इसके बावजूद स्कूल न तो सेहत विभाग की चिता को गंभीरता से ले रहा है और न ही डीईओ के आदेशों की पालना कर रहा है। ऐसे में अगर टेस्ट नहीं होगे, तो कोरोना को कैसे हराया जाएगा? स्कूल
स्टाफ को बच्चों की चिंता तक नहीं है। स्कूल मुखी की लिखित मंजूरी के बाद ही होंगे विद्यार्थियों के टेस्ट स्कूल टीचर व अन्य स्टाफ मेंबरों की तरफ से कोरोना टेस्ट नहीं करवाने के बाद सेहत विभाग ने
एक और फैसला लिया है। इसके अनुसार वह किसी भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल के विद्यार्थी का तब तक कोरोना सैंपल नहीं लेंगे, जब तक स्कूल मुखी या उसके स्वजन उन्हें लिखित मंजूरी नहीं देंगे। साथ ही
टेस्ट सिर्फ उन्ही विद्यार्थियों के होंगे, जिनके स्कूल में पाजिटिव केस मिलेंग। सेहत विभाग के अनुसार कोरोना टेस्ट 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के ही लिए जाएंगे।