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राष्ट्रीय नदी गंगा की निर्मलता के लिए चल रही नमामि गंगे परियोजना की तर्ज पर गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी यमुना भी स्वच्छ एवं निर्मल होगी। By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 29 Aug 2020
08:41 AM (IST) देहरादून, केदार दत्त। राष्ट्रीय नदी गंगा की निर्मलता के लिए चल रही नमामि गंगे परियोजना की तर्ज पर गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी यमुना भी स्वच्छ एवं निर्मल होगी। केंद्र सरकार
द्वारा देश की जिन 13 नदियों के पुनरुद्धार का फैसला लिया गया है, उनमें यमुना भी शामिल है। इसे देखते हुए उत्तराखंड में यमुना के लिए राज्य सरकार कार्ययोजना तैयार करने में जुट गई है। इसके तहत
सीवर और गंदे नालों को यमुना व उसकी सहायक नदियों में समाने से रोकने को कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार यमुना पर दो बांध भी बनाए जा सकते हैं, जिनसे अन्य राज्यों में
इस नदी की सफाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा। गंगा की भांति यमुना नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड हिमालय में है। उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलकर यह नदी अन्य कई छोटी नदियों को खुद में
समेटकर देहरादून जिले के विकासनगर क्षेत्र तक सफर तय करती है। राज्य में यमुना से लगे शहरों, कस्बों व गांवों की गंदगी और कूड़ा-कचरा इस नदी में समा रहा है। इसे देखते हुए सरकार अब नमामि गंगे की
तर्ज पर यमुना की स्वच्छता व निर्मलता के लिए कार्ययोजना बनाने जा रही है। इसके तहत यमुना से लगे शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और गंदे नालों की टैपिंग की योजना पर फोकस किया जा रहा
है, ताकि गंदगी यमुना में न जाने पाए। इसके साथ ही वहां कूड़ा-कचरा प्रबंधन के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। इसकी कार्ययोजना का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इसके अलावा सरकार
अन्य कई विकल्पों पर भी विचार कर रही है, ताकि यमुना भी गंगा की भांति निर्मल हो सके। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा होने जा रही चाक चौबंदमुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह
रावत का कहना है कि कानपुर में हुई गंगा काउंसिल की पिछली बैठक में यमुना की स्वच्छता का मसला उठा था। राज्य में यमुना की स्वच्छता व निर्मलता को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है। तब मैंने यह सुझाव
दिया था कि यमुना पर लखवाड़-व्यासी व त्यूनी-पलासू जलविद्युत परियोजनाओं के बनने के बाद दो और बांध बनाए जा सकते हैं। इन अतिरिक्त बांधों का उपयोग केवल यमुना की सफाई के लिए होगा। राज्य से आगे जिस
भी क्षेत्र में यमुना की सफाई को मुहिम चलेगी, उसके लिए इन बांधों से पानी छोड़ा जाएगा। योजना करीब सात सौ करोड़ की होगी। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में जैव विविधता पर अब कालाबांसा का साया, जानिए
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