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पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए उनचालीस देशो में से बारह देशों के समर्थन की जरूरत होगी। खबरों के मुताबिक एफएटीएफ की बैठक 21-23 अक्तूबर तक हो सकती है। आतंकियों की फंडिंग को लेकर
फिर शिंकजा कसने जा रहा है। यों विश्व मे कई देश आतंकवाद की सिरदर्दी से परेशान हैं और पाकिस्तान भी संबंधित देशों की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। पाकिस्तान अमेरिका की शरण में जाकर अगर ग्रे
लिस्ट से बाहर निकलने का स्वप्न देखता है तो यह उसका भ्रम साबित होगा। होना तो यह चाहिए कि पाकिस्तान को किसी भी देश का समर्थन नहीं मिले, क्योंकि आंतकवादियों का दाना-पानी देना जब तक पाकिस्तान
बंद न करे, आतंकियों की फंडिंग पर पूरी तरह से रोकथाम न हो, तब तक पाकिस्तान से सारे देशों को किनारा दिखाना चाहिए। आतंकवाद मानव जाति और इंसानियत की दुश्मन है। यही अवसर पाकिस्तान को सुधारने का
अवसर है। लेकिन वर्तमान दौर में संघर्ष विराम के उल्लंघन के समाचार क्या दर्शाते हैं? क्या पाकिस्तान भारत के धीरज की परीक्षा ले रहा है? अब समय सभी देशों की एकजुटता की जरूरत है। आतंकवाद किसी भी
हाल में बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। ’योगेश जोशी, बड़वाह, मप्र