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जापान की राजधानी तोक्यों में छह अक्तूबर से होने वाली क्वाड समूह के विदेश मंत्रियों की दूसरी बैठक चीन के लिए इस बात का स्पष्ट संदेश है कि अब एशिया और इसके चारों ओर महासागरों में उसके बढ़ते
कदमों के खिलाफ घेरेबंदी की रणनीति पर तेजी से काम हो रहा है। ऐसे में चीन को अपना आक्रामक रवैया छोड़ दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और महासागरीय सीमाओं के उल्लंघन करने और अपने
सैन्य अड्डे बनाने से बाज आना चाहिए। पर इतिहास गवाह है कि चीन सुधरने वाला नहीं है। वह जिस विस्तारवादी नीति पर चल रहा है, उसमें उससे कुछ अच्छे की उम्मीद करना व्यर्थ है। यह बैठक ऐसे वक्त में हो
रही है जब भारत और चीन के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। भारत के लिए इस बैठक का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वह भी चार देशों के इस समूह का सदस्य देश है। क्वाड समूह में भारत के अलावा
अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया हैं। अमेरिका ने भी साफ कहा है कि क्वाड समूह का मकसद एशिया-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित बनाना है, खासतौर पर ऐसे वक्त में जब क्षेत्र में चीनी दादागीरी बढ़ती जा रही
है। क्वाड यानी चार देशों के इस समूह की स्थापना का मूल उद्देश्य एशिया में चीन के बढ़ती सैन्य ताकत को रोकना था। पिछले कुछ वर्षों से दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच विवाद गंभीर रूप
लेता रहा है और कई मौकों पर तो हालात यहां तक पहुंच गए जैसे कभी भी युद्ध भड़क सकता हो। सामरिक लिहाज से चीन के लिए दक्षिण चीन सागर काफी अहमियत रखता है। इसलिए वह इस पर दावा ठोकता रहा है और उसने
वहां बड़े सैन्य अड्डे भी बना लिए हैं। इसके अलावा यह इलाका प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच स्थित समुदी मार्ग से व्यापार का बेहद महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का
बीस फीसद हिस्सा यहां से गुजरता है। सात देशों से घिरे दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन और दूसरे एशियाई देशों में टकराव पहले से चल रहे हैं। इसलिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेरेबंदी के लिए
अमेरिका ने आस्ट्रेलिया, भारत और जापान का हाथ पकड़ा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस वक्त अमेरिका ने चीन के खिलाफ पूरी तरह से मोर्चा खोल रखा है। चीन पर दुनिया में कोरोना महामारी फैलाने का आरोप
लगा कर उसने ज्यादातर देशों को उसके खिलाफ लामबंद करने की रणनीति बनाई है। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध तो पहले से चल ही रहा था। आस्ट्रेलिया भी चीन से खफा है और जापान उसका पुराना
प्रतिद्वंद्वी। ऐसे में क्वाड के सभी सदस्य देश कहीं न कहीं चीन की चालों से घायल महसूस कर रहे हैं। भारत के साथ तो चीन ने लद्दाख सीमा पर इस बार जिस तरह का विवाद खड़ा किया, भारतीय जवानों पर हमले
किए, घुसपैठ की, उससे उसकी मंशा उजागर हो गई। कुछ समय पहले दक्षिण चीन सागर में विमानवाहक पोत को उड़ा देने वाली मिसाइल का परीक्षण कर चीन ने जो ताकत दिखाई, उससे अमेरिका की नींद उड़ी हुई है। ऐसे
में चीन को सबक सिखाने के लिए उसे घेरना जरूरी है और यह काम किसी एक देश के बूते का नहीं है। इसके लिए क्वाड जैसे समूह की जरूरत है, बल्कि इस संगठन का विस्तार हो तो और अच्छा, तभी चीन को निरंकुश
होने से रोका जा सकेगा।