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सचिन तेंदुलकर ने अपना आखिरी टेस्ट मैच 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला था। वह उनका 200वां टेस्ट मैच भी था। सचिन के रिटायरमेंट के दिन उनकी मां, पत्नी और पूरा
परिवार स्टेडियम पहुंचा था। तेंदुलकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि कब उन्हें लगा कि वे इसके बाद नहीं खेल पाएंगे। तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने सभी खिलाड़ियों को उनसे अलग कर दिया था। वह
सचिन के लिए सबसे भावुक समय था।
सचिन ने ‘ऑकट्री स्पोर्ट्स’ यूट्यूब चैनल के लिए गौरव कपूर को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘‘मैं रिटायरमेंट भाषण देने के लिए पानी के बोतल को अपने साथ रखा था। मुझे पहली बार तब यह लगा कि अब यह नहीं
होने वाला है, अब मैं नहीं खेल पाऊंगा, जब धोनी ने सभी खिलाड़ियों को एक तरफ बुलाया। मुझे कहा कि पाजी आप दो मिनट के लिए थोड़ा दूर जाओ। वे लोग कुछ प्लानिंग कर रहे थे। उस समय तक मुझे नहीं लगा था
कि कुछ हो रहा है। उसी समय मुझे लगा कि अब समय आ गया है। फिर मैं ड्रेसिंग रूम की तरफ वापस जा रहा था। उस समय काफी भावुक हो गया था और सीधे ड्रेसिंग रूम में चला गया। वहां अकेले बैठ गया।’’
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सचिन ने आखिरी टेस्ट में फैमिली के हिस्सा लेने पर कहा, ‘‘मेरी मां मैच देखने आई थी। उससे मैं भावुक हो गया था। उससे पहले सभी लोग मुझे लाइव देख चुके थे, लेकिन मेरी मां सिर्फ अकेली ऐसी थी
जिन्होंने मुझे फ्रेंडली मैच भी खेलते नहीं देखा था। वो काफी परेशान हो जाती है। मैं नहीं चाहता कि कोई वहां बैठा हो। अगर कोई आता है फैमिली से तो मैं कहता हूं कि खुद को कहीं छुपा लो। मैं मैच के
दौरान खेलना चाहता हूं, उनके देखना नहीं। मैं उन पर फोकस नहीं करना चाहता था। यह नहीं सोचता कि वे जश्न मना रहे हैं या नहीं।’’
सचिन ने अंजली तेंदुलकर के बारे में कहा, ‘‘अंजली कभी स्टेडियम नहीं आती थी। ऑस्ट्रेलिया में 2004 में बाकी खिलाड़ियों की पत्नियां मैच देखने जाती थीं। उन्होंने अंजली से कहा कि कुछ नहीं होगा चलो।
इस पर उन्होंने कहा कि मैं थोड़ी सी सुपरस्टीटियस हूं। फिर भी सबके कहने पर वो मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच देखने आई। मैं खेलने उतरा। ब्रेट ली ने पहली गेंद फेंकी। मैंने डाउन द लेग खेला।
शॉट लगा और एडम गिलक्रिस्ट ने डाइव लगाकर शानदार कैच ले लिया। इसके बाद अंजली चुपचाप चली गई। फिर वो कभी मैच देखने नहीं आई। वे सीधे मेरे आखिरी टेस्ट में आई थी।’’