Shaheed diwas 2020: 23 मार्च को ही क्यों मनाते हैं शहीद दिवस, जानिए इस दिन का इतिहास और महत्व

Shaheed diwas 2020: 23 मार्च को ही क्यों मनाते हैं शहीद दिवस, जानिए इस दिन का इतिहास और महत्व

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MARTYRS’ DAY (SHAHEED DIWAS) DATE IN INDIA 2020: शहीद दिवस यानि कि एक ऐसा दिन जब पूरा देश इसकी रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले शहीदों को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।


भारत में शहीद दिवस 2 दिन मनाया जाता है। पहला 30 जनवरी और दूसरी बार 23 मार्च को हम अपनी जान की परवाह किए बगैर देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों को याद करते हैं। 30 जनवरी को महात्मा गांधी और


दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है जबकि 23 मार्च को भारत की तीनों असाधारण युद्ध सेनानियों के बलिदानों को याद किया जाता है। आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस और


क्या है इसका महत्व- 23 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है: हमारे देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीनों नायक- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च को


ही फांसी पर लटका दिया गया था। ये तीनों ही भारत के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भारत के इन नवयुवकों ने बापू से अलग रास्ता अपनाया था लेकिन यह देश के कल्याण के लिए था। इतनी कम उम्र में इस


बहादुरी के साथ देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले इन सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए ही 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। कैसे मनाया जाता है शहीद दिवस: इस मौके पर पूरा देश शहीदों की


कुर्बानी को याद करता है और उन्हें नमन करता है। देश के गणमान्य लोग एक साथ इकट्ठा होकर शहीदों की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाते हैं। वहीं, देश के सशस्त्र बल के जवान शहीदों को सम्मानजनक सलामी देते


हैं। इसके अलावा, स्कूल-कॉलेज में भी इस उपलक्ष्य में वाद-विवाद, भाषण, कविता-पाठ और निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है। [embedded content] क्या है इस दिन का महत्व: देश को


आजादी कितने साल संघर्ष करने के बाद मिली, इस बात का अंदाजा शायद ही वर्तमान समय के लोगों को हो। ऐसे में शहीद दिवस जैसे मौकों को सेलिब्रेट करके लोगों में जागरुकता पैदा होती है। इस दिन को मनाकर


हम न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं बल्कि आज की पीढ़ी को उन शहीदों के जीवन और बलिदानों से परिचित भी कराते हैं। आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जान की परवाह तक नहीं की, इतने


मुश्किलों से मिली इस आजादी के मोल को समझने के लिए भी इस दिन को मनाना जरूरी है।