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अनूप चौधरी कोरोना महामारी जैसे संकट के इस माहौल में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ सही मायने में कोरोना योद्धा की तरह लोगों और कोरोना विषाणु के बीच दीवार बन कर खड़े हैं।
जिले में जब से कोरोना संमक्रण के मामले सामने आए हैं तभी से डॉक्टर अपना घर परिवार छोड़ कर मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। डॉक्टर और नर्सों ने कठिन परस्थितियों में कोरोना संक्रमित 35 मरीजों को
स्वस्थ कर घर भेज दिया है। कोविड-19 ईएसआइसी अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के करीब 250 डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ 24 घंटे अपनी ड्यूटी मुस्तैदी कर रहे हैं। फरीदाबाद में डॉक्टर और पैरामेडिकल
स्टाफ पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से अपने घर परिवारों से दूर हैं। अस्पताल से बाहर बस कुछ घंटों के लिए नहाने, खाने और आराम के लिए पर्यटन विभाग के होटल हंै। इन सब की अनेक पारिवारिक समस्या
होते हुए भी घर से दूर रहकर निरंतर काम कर रहे हैं। फरीदाबाद में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ लगभग 250 ऐसे डॉक्टर और नर्स हैं जो महीनों से अपने घर तक नहीं देख पाए हैं। हालांकि सभी के मन में
कहीं ना कहीं अपने बच्चों परिवार से दूर रहने की टीस जरूर है। सिविल सर्जन कृष्ण कुमार ने बताया की कोरोना विषाणु महामारी के दौरान कई महिला डॉक्टर नर्सें अपने छोटे-छोटे बच्चों से दूर हैं। इन्हीं
में राजस्थान के रहने वाले 29 वर्षीय नर्सिंग कर्मी दीपक कुमार हैं। दीपक बताते है कि वे दो महीने से घर नहीं गए हैं। उनकी तैनाती ईएसआइसी के कोविड-19 अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में है। मानसिक
दबाव बहुत ज्यादा है। कहना है कि उनकी पत्नी का दो महीने का गर्भपात हो चुका है। उन्होंने कहा कि उनके भाई भी मेडिकल स्टाफ में नौकरी करते हैं और पिता गांव में कोविड-19 के लिए ड्यूटी कर रहे हैं।
दीपक ने बताया जब उनकी पत्नी के साथ समस्या हुई तो आने के लिए कहा गया, लेकिन वह तब भी नहीं जा पाए। वह कहते हैं कि जानते हुए भी अपने परिवार को खतरे में नहीं डाल सकता। उन्होंने फोन पर ही अपनी
पत्नी को ढांढस बंधाया। अलीगढ़ के रहने वाले दामोदर और उनकी पत्नी दोनों ही नर्सिंग स्टाफ फरीदाबाद के ईएसआइसी अस्पताल में कोविड-19 के लिए ड्यूटी दे रहे हैं। दामोदर का तीन साल का बेटा और पांच साल
की बेटी है। दोनों को उनके मामा के पास छोड़ आए हैं।