मदन मोहन मालवीय के पोते बने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर

मदन मोहन मालवीय के पोते बने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर

Play all audios:

Loading...

इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस गिरधर मालवीय को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का नया चांसलर बनाया गया है। यह फैसला सोमवार (26 नवंबर) को बनारस में विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में


बीएचयू बोर्ड की बैठक में लिया गया। जस्टिस मालवीय भारत रत्न मदन मोहन मालवीय के पोते हैं, जिन्होंने वर्ष 1916 में एशिया के सबसे बड़े आवासीय केंद्रीय विश्वविद्यालय बीएयू की स्थापना की थी। इससे


पहले कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद डाॅ. कर्ण सिंह इस पद पर थे। उनका कार्यकाल वर्ष 2016 में पूरा हो चुका था और उसके बाद से यह पद खाली था। पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर पंजाब सिंह, वाईसी सिमाद्री,


प्रोफेसर मुरली मनोहर जोशी और वाराणसी के राज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह सहित 11 लोगों का नाम चांसलर बनने की दौड़ में शामिल था। लेकिन बोर्ड मेंबर ने जस्टिस मालवीय को इस पद के लिए चुना।


जस्टिस गिरधर मालवीय वर्ष 1988 से 1998 तक हाईकोर्ट में जज के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने गंगा की सफाई के लिए भी काम किया है। साथ ही सामाजिक कार्यों में लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। जस्टिस


गिरधर मालवीय के पिता पं. गोविंद मालवीय 50 के दशक में बीचयू के कुलपति थे। अब गिरधर मालवीय बीचयू के बीएचयू के चांसलर बने हैं। वे बीएचयू के छठे चासंलर होंगे। उनसे पहले कृष्ण राज वाडि़यार, सर


सयाजीराव गायकवाड, बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह बहादुर, बनारस महाराज विभूति नारायण सिंह और डॉ. कर्ण सिंह विश्वविद्यालय के चांसलर बने हैं। जस्टिस मालवीय का नाम बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के


वाइस चांसलर प्रोफेसर राकेश भटनागर द्वारा प्रस्तावित किया गया था। लंबी बहस और बातचीत के बाद मत बना। बोर्ड के सदस्यों ने बीचयू का अगला चांसलर बनाने जस्टिस मालवीय के नाम पर मुहर लगाई।


विश्वविद्यालय ने भारत के राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जस्टिस मालवीय के नाम को भेज दिया है। बता दें कि बोर्ड के सदस्यों द्वारा ही चांसलर को चुना जाता है। बीचयू के चांसलर का कार्यकाल तीन


सालों अथवा अगले चांसलर की नियुक्ति तक का होता है।