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हैदराबाद में 13 साल की लड़की की 68 दिनों के उपवास के बाद मौत मामले में पुलिस ने उसके माता-पिता पर गैर-दरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। लड़की के परिवार का कहना है कि आठवीं कक्षा में
पढ़ने वाली आराधना को उपवास पूरा करने के दो दिन बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जैन परंपराओं के अनुसार, 68 दिनों तक ‘चार्तुमास’ का पालन करने के
बाद आराधना की मौत के मामले में रविवार को उसके पिता लक्ष्मी चंद और मंशी के खिलाफ बलाला हक्कुला संगम के अध्यक्ष अछूता राव की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। राव का आरोप था कि आराधना के
माता-पिता ने उसे उपवास रखने पर मजबूर किया ताकि घर में ‘भाग्य’ आए, आराधना के पिता को ज्यूलरी के बिजनेस में अच्छा-खासा नुकसान हुआ था। राव ने कहा, ”उसके अभिभावकों लक्ष्मी चंद और मंशी तथा
समुदाय के अन्य सदस्यों ने लड़की को उपवास करने पर मजबूर किया क्योंकि उनका ज्यूलरी का कारोबार अच्छा नहीं चल रहा था। अब वे कह रहे हैं कि उनका ज्यूलरी बिजनेस उसके (आराधना) उपवास की वजह से
अच्छा चल रहा है।” सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी दुल्हन को भारत लाने में पति की मदद, देखें वीडियो: राव के आरोपों को खारिज करते हुए लक्ष्मी चंद ने शनिवार को कहा था, ”कोई पिता अपनी बेटी को
मारना नहीं चाहता। उसने पहले भी यह परंपरा निभाई है, लेकिन इस बारे उसके शरीर ने अलग प्रतिक्रिया दिखाई।” उन्होंने यह भी कहा कि ”पिछले साल उसने 34 दिन तक उपवास किया था और 68 दिनों तक उपवास का
फैसला उसका था। यह उसकी व्यक्तिगत श्रद्धा थी और हमने उसे मजबूर नहीं किया। अगर हमने उसे मजबूर किया होता, तो हम यह पूरी दुनिया के सामने नहीं करते।” हालांकि जैन धर्मगुरु उपादाय रविंद्र मुनि ने
कहा, ”यह एक हादसा था, क्योंकि उसका शरीर ठीक था। उसने अपनी इच्छा से तपस्या पूरी की।” READ ALSO: दिग्विजय सिंह बोले- मोदी भक्तों अब तो सोनिया की जय बोल दो, एक ने पूछा- कांग्रेसी कम पड़ गए
क्या? स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2 अक्टूबर को लड़की की मौत हुई थी। घटना से हैदराबाद अचंभे में था, बाल अधिकार कार्यकर्ता आराधना की मौत के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई
करने की मांग कर रहे हैं।