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SARVA PITRU AMAVASYA 2020 : पितृ पक्ष 17 सितंबर, बृहस्पतिवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होने वाला है। कहते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए कुछ खास उपाय किए जाए तो पितृ
देव तृप्त होते हैं। पितरों को तृप्त करने के लिए श्राद्ध, दान और उपाय आदि किए जाते हैं। माना जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या की शाम को गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने से पितरों की तृप्ति होती
है। सर्वपितृ अमावस्या की शाम इसका पाठ जरूर करना चाहिए। गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र (GAJENDRA MOKSH STOTRA/ GAJENDRA MOKSH PAATH) नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ। गज और ग्राह लड़त जल
भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।। जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।। शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि-भोग लगायो। दुर्योधन की मेवा त्यागी
साग विदुर घर खायो।। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ। पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो, फन पर नृत्य करायो।। गिरि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नंद का लाल कहायो। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह
आचरण माहि आओ।। असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो। खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो।। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ। अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो।। पय पान
करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।। कौर व पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो। दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो ।। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह
आचरण माहि आओ। सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो।। छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।। योगी जाको ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि
आयो। सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो।। नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ। यह आचरण माहि आओ।। सर्वपितृ अमावस्या का महत्व (SARVA PITRU AMAVASYA KA MAHATVA/ SARVA PITRU AMAVASYA IMPORTANCE)
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों के लिए तर्पण किया जाता है। कहते हैं कि इस दिन उन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है जिन्हें हम गलती से भूल गए होते हैं। यह भूले-बिसरे पितरों के लिए तर्पण का
दिन है। कहते हैं कि इस दिन तर्पण करने से पितृ देव तृप्त होते हैं और आशीर्वाद देते हुए संतोष पाकर वापस अपने लोक की ओर जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या की शाम को पितरों को विदा किया जाता है। कहते
हैं कि पितृ केवल पितृ पक्ष के दौरान ही पृथ्वी पर रह सकते हैं। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या की शाम सभी को अपने घर के पितरों को प्रेम सहित विदा करना चाहिए।