निर्जला एकादशी के बाद ये दो एकादशी भी हैं खास, जानें महत्व

निर्जला एकादशी के बाद ये दो एकादशी भी हैं खास, जानें महत्व

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योगिनी एकादशी को लेकर मान्यता है कि इसका व्रत रखने वालों के सभी पाप दूर हो जाते हैं और 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर लाभ मिलता है। निर्जला एकादशी के बाद योगिनी और देवशयनी एकादषी


का महत्व Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानWed, 4 June 2025 03:14 PM Share Follow Us on __ सल की सबसे बढ़ी एकादशी निर्जला एकादशी इस साल 6 जून को मनाई जाएगी। निर्जला एकादशी के बाद योगिनी एकादशी


और उसके बाद देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। ये दोनों ही एकादशी भी खास हैं, क्यों योगिनी एकादशी भगवान श्रीकृष्ण के लिए रखी जाती है और देवशयनी एकादशी देव चार महीने के लिएसो जाते हैं।


देवशयनी एकादशी का भी अपना महत्व है, क्योंकि इसके बाद से चतुर्मास शुरू हो जाते हैं शुभ का्यों पर ब्रैक लग जाता है। भगवान विष्णु क्षीरसागर में निंद्रा के लिए चले जाते हैं। इस दौरान शुभ कार्य


नहीं होते हैं। इसके बाद 4 महीने के बाद देवउठनी एकादशी पर विवाह और शुभ कार्य दोबारा शुरू होते हैं। कब है आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी आषढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तारीख की 21 जून सुबह 06


बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 22 जून सुबह 04 बजकर 12 मिनट में में समाप्त होगी, इसलिए उदया तारीख के अनुसार 21 जून को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। योगिनी एकादशी को लेकर मान्यता है कि


इसका व्रत रखने वालों के सभी पाप दूर हो जाते हैं और 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर लाभ मिलता है। इसके साथ ही इसे तीनों लोको में मनाया जाता है। कब है आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी


देवशयनी एकादशी का भी अपना महत्व है, क्योंकि इसके बाद से चतुर्मास शुरू हो जाते हैं। इस साल 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इसके अगले दिन यानी 6 जुलाई से 1 नवंबर 2025 तक देव सोएंगे। चातुर्मास


का काल तप, व्रत, ध्यान और संयम का माना जाता है। इस साल एकादशी तिथि 5 जुलाई को शाम 6:58 बजे शुरू होगी और 6 जुलाई को रात 9:14 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 6 जुलाई को एकादशी का व्रत


होगा, दशमी तिथियुक्त एकादशी रखना उत्तम नहीं माना जाता है, लेकिन ग्यारस और द्वादशी युक्त तिथि को माना जा सकता है।