ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय से नहीं टला खतरा

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय से नहीं टला खतरा

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Hindi NewsBihar NewsLalit Narayan did not postpone the distance education directorate of Mithila University ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की मान्यता पर मंडराता


खतरा अभी तक नहीं टला है। शर्त पूरी नहीं होने पर नामांकन पर रोक लग सकती है। फिलहाल डीडीई में लगभग 60 हजार विद्यार्थी... Abhishek Kumar दरभंगा। निज प्रतिनिधि, Sat, 11 April 2020 02:58 PM Share


Follow Us on __ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की मान्यता पर मंडराता खतरा अभी तक नहीं टला है। शर्त पूरी नहीं होने पर नामांकन पर रोक लग सकती है। फिलहाल डीडीई में


लगभग 60 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दूरस्थ शिक्षा के संचालन वाले विश्वविद्यालयों के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से ग्रेड ‘ए’ प्राप्त करने


की अनिवार्यता कर दी है। मिथिला विवि सहित प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय को नैक से ‘ए’ ग्रेड प्राप्त नहीं है। शर्त के अनुसार विश्वविद्यालय को सत्र 2019-20 तक मुक्त रखकर मौका दिया गया था


लेकिन अब सत्र जून 2020 तक इसे प्राप्त कर लेना होगा अन्यथा अगले सत्र से नामांकन नहीं हो सकेगा। जून तक इस शर्त को पूरा करना मुमकिन नहीं है। इधर, विश्वविद्यालय का 2020 में नैक से मूल्यांकन होना


है लेकिन आवश्यक नहीं कि यह इस समय सीमा के अंदर हो सके। इस वर्ष किसी भी समय हो सकता है। इसलिए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय पर खतरा बरकरार है। चूंकि बिहार में मिथिला, पटना, मगध व बीआरएबी


विश्वविद्यालयों सहित देश के करीब ढाई सौ विश्वविद्यालयों पर यह खतरा है, इसलिए कई लोग आस लगाये बैठे हैं कि यूजीसी व केंद्रीय मानव विकास मंत्रालय इस शर्त पर पुनर्विचार कर सकता है। ऐसा करने के


लिए राज्य सरकार को काफी मशक्कत करनी होगी जो फिलहाल दिख नहीं रहा है। मान्यता रद्द होने पर प्रदेश के चार विश्वविद्यालयों में वर्तमान में चल रहे दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में सत्र जून 2020 से


नामांकन नहीं हो सकेगा। अर्थात करीब डेढ़ लाख विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के अवसर से वंचित होना होगा। सरकार उच्च शिक्षा में विस्तार के लिए प्रयास करती रही है। बिहार जैसे पिछड़े राज्य में उच्च


शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात राष्ट्रीय तुलना में काफी कम है। सरकार इसे बढ़ाने के लिए काफी चिंतित भी है। इधर, दूरस्थ शिक्षा में नामांकन बंद होने से सकल नामांकन अनुपात में काफी कमी आ जायेगी।


इसका सबसे बड़ा खामियाजा बिहार की गरीब गृहिणियों को भुगतना पड़ेगा क्योंकि वे अपनी शैक्षणिक योग्यता में इजाफा नहीं कर सकेंगी और उच्च शिक्षा की पहुंच से बाहर हो जाएंगी।