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बिहार में विलंबित सत्र की वजह से लाखों छात्र-छात्राओं को कई अच्छे अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है। सरकार के सीधे नियंत्रण वाले 13 विश्वविद्यालयों में से आठ लेटलतीफी के शिकार हैं। इनमें...
बिहार में विलंबित सत्र की वजह से लाखों छात्र-छात्राओं को कई अच्छे अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है। सरकार के सीधे नियंत्रण वाले 13 विश्वविद्यालयों में से आठ लेटलतीफी के शिकार हैं। इनमें
स्नातक, स्नातकोत्तर और व्यावसायिक कोर्सों की परीक्षाएं और परिणाम तय समय से काफी पीछे हैं। जहां सत्र पीछे चल रहा उनमें मगध विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विवि छपरा, पाटलिपुत्र विवि पटना, भीमराव
अम्बेदकर बिहार विवि मुजफ्फरपुर, भूपेन्द्र नारायण मंडल विवि मधेपुरा, पूर्णिया विवि पूर्णिया, तिलका मांझी भागलपुर विवि और वीर कुंवर सिंह विवि आरा शामिल हैं। पिछले दिनों राजभवन में कुलाधिपति
सह राज्यपाल फागू चौहान की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में परीक्षा और परीक्षाफल के प्रकाशन में देर की वजह को लेकर चौंकाने वाले जवाब सामने आये। किसी ने नामांकन देर से होने तो किसी ने कई
वर्षों से सत्र के लंबित रहने को इसका कारण बताया। चांसलर ने इसे गंभीरता से लिया और लंबित परीक्षाएं लेकर जून 2020 तक सभी परिणाम घोषित करने का टास्क विश्वविद्यालयों को सौंपा है। हालांकि डेडलाइन
की चुनौती से पार पाना विश्वविद्यालयों के लिए आसान नहीं दिख रहा। बिहार के चार पूर्व राज्यपालों डीवाई पाटिल, रामनाथ कोविन्द (वर्तमान राष्ट्रपति), सत्यपाल मलिक और लालजी टंडन ने भी इन विवि पर
सत्र नियमित करने को सख्ती बरती थी पर नतीजा बहुत उत्साहजनक नहीं निकला। मगध विवि 2016 -19 के स्नातक दो पार्ट की परीक्षा हो चुकी है, तीसरे पार्ट की लंबित है। 2017-20 में केवल पहले पार्ट की
परीक्षा हुई है। 2018-21 के किसी पार्ट की परीक्षा नहीं हुई है। वहीं स्नातकोत्तर में 2016-18 और 2017-19 का सत्र डेढ़ साल पीछे चल रहा है। जेपी छपरा स्नातक का 2015-18 का सत्र करीब डेढ़ साल पीछे
चल रहा है। दूसरे ही पार्ट की परीक्षा चल रही है, वहीं 2016-19 के विद्यार्थी भी पार्ट-2 की ही परीक्षा दे रहे हैं। पीजी में भी 2016-18 का सत्र सवा दो साल पीछे है। 2018-20 और 2019-21 में यहां
नामांकन ही नहीं हुआ है। पाटलिपुत्र विवि स्नातक स्तर पर स्थिति कमोशबेश ठीक है लेकिन पीजी में 2018-20 के पार्ट वन की ही परीक्षा हुई है। इसे सितम्बर से मई के बीच इस सत्र के तीन सेमेस्टर की
परीक्षा लेने की चुनौती है। पूर्णिया विवि इस विश्वविद्यालय ने राजभवन को यूजी, पीजी और व्यावसायिक कोर्सों की परीक्षाओं तथा रिजल्ट की तिथि तय कर राजभवन को सौंपी है तथा आश्वस्त किया है कि जून
2020 तक सत्र नियमित हो जाएगा। वीकेवीएस आरा वीकेवीएस आरा विश्वविद्यालय यूजी और पीजी में सत्र छह माह से अधिकतम 11 माह तक ही विलंबित है। इसके कारण विश्वविद्यालय ने छात्र-छात्राओं को 36
असम्बद्ध कॉलेजों में नामांकन ले लेने को बताया है। बीएन मंडल विवि यहां स्नातक में 2015-18 सत्र का रिजल्ट नहीं हुआ है। बाद के सत्र के विद्यार्थियों की भी परीक्षाएं करीब सवा साल लंबित चल रही
हैं। पीजी 2016-18 भी 20 माह लेट से चल रहा। तिलकामांझी विवि 2016-19 का स्नातक रिजल्ट क्लियर है लेकिन 2017-20 सत्र 14 माह पीछे चल रहा। वहीं स्नातकोत्तर 2016-18 सत्र 21 माह विलंबित है।
2017-19 सत्र भी 16 माह लेट चल रहा। बीआरए बिहार स्नातक स्तर की परीक्षाएं महीनों में ही जबकि पीजी स्तर की परीक्षाएं सालभर विलंबित हैं। 2017-19 का दो सेमेस्टर का परीक्षा यहां बाकी है।