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एक पति जो हर दिन ऑफिस के घर वापस आने से पहले अपनी पत्नी को एक एसएमएस करता है, एक दिन तय करता है कि वह पत्नी को गुलाब के फूलों के साथ रोमांटिक सरप्राइज देगा। उस रोज फूलों की मंडी बंद होती है,
लिहाजा... एक पति जो हर दिन ऑफिस के घर वापस आने से पहले अपनी पत्नी को एक एसएमएस करता है, एक दिन तय करता है कि वह पत्नी को गुलाब के फूलों के साथ रोमांटिक सरप्राइज देगा। उस रोज फूलों की मंडी
बंद होती है, लिहाजा बेचारा कब्रिस्तान जाकर वहां से गुलाब के ताजा फूल लेकर आता है। पर जब वह घर पहुंचता है, तो उसे खुद ही सरप्राइज मिल जाता है... क्योंकि घर पर उसकी पत्नी के साथ मौजूद होता है
उसका प्रेमी। यह नजारा देख उसका दिल टूट जाता है और उसके मन में दो ख्याल आते हैं- पहला- पत्नी का खून कर दे। दूसरा- पत्नी के प्रेमी का खून कर दे। पर वह इनमें से कुछ नहीं करता और बाहर चला जाता
है, जहां उसे तीसरा ख्याल आता है। उसके इस तीसरे ख्याल में शामिल है एक लिस्ट जो बनती है उसके घर की ईएमआई, क्रेडिट कार्ड की ईएमआई और दनादन टीवी के रीचार्ज की रकम को मिलाकर। पति तय करता है कि अब
यह सारा पैसा भरेगा उसकी पत्नी का प्रेमी। और इस नेक ख्याल के साथ शुरू हो जाता है ब्लैकमेलिंग का एक दिलचस्प खेल। इस तानेबाने पर बनी अभिनय देव की फिल्म ब्लैकमेल एक डार्क कॉमेडी है जो आपका
भरपूर मनोरंजन करती है, हालांकि इस कहानी में कुछ उलझाव भी है, जिसके चलते यह एक जबर्दस्त फिल्म बनते-बनते रह जाती है। अपनी पिछली फिल्म ‘करीब-करीब सिंगल’ में योगी जैसा भड़कीला किरदार निभाने के
बाद ‘ब्लैकमेल’ में इरफान एक सीधे-सादे बेबस पति यानी देव के किरदार में नजर आते हैं। हालांकि उसके ऑफिस के सहकर्मी उसे देखकर कहते हैं कि,‘फिल्मों में तेरे जैसे लोग ही आखिर में सीरियल किलर
निकलते हैं!’ देव की शादी को सात साल हो चुके हैं पर उसका दांपत्य जीवन कुछ अच्छा नहीं चल रहा। देव की पत्नी रीना का किरदार निभाने वाली कीर्ति कुल्हारी एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही हैं, जो एक
बार धोखा दे चुके अपने पूर्व प्रेमी के चंगुल में एक बार फिर फंस गई है। कीर्ति के प्रेमी रंजीत के किरदार में हैं अरुणोदय सिंह, जिसने एक अमीर बाप की बेटी डॉली (दिव्या दत्ता) से सिर्फ उसके पैसों
के लिए शादी की है। ब्लैकमेल का खेल एक बार शुरू होता है, तो इसके तार फैलते जाते हैं जिसकी चपेट में इसके ज्यादातर किरदार आ जाते हैं। फिल्म में ‘टॉयलेट हास्य’ का भी काफी इस्तेमाल किया गया है,
जैसा कि हमने अभिनय की पिछली फिल्म डेल्ही-बेली में भी देखा था। पर इस बार यह उतना प्रभावी नहीं लगा है। एक टॉयलेट पेपर कंपनी मालिक की भूमिका में ओमी वैद्य हैं, जो कई दृश्यों में चतुर रामलिंगम
वाले हैंगओवर में नजर आए हैं। उनके अंग्रेजीदां हिंदी संवाद बोलने का अंदाज एक बार फिर यहां दोहराया गया है। फिल्म कई जगह कैमरे के जरिये संवाद अदायगी करती है, जो खासा रोचक लगा है, जैसे फिल्म के
अंत में दिखाया गया ‘फायर एग्जिट’ बोर्ड का क्लोजअप शॉट। आप सबने ट्रेलर में इरफान को एक गत्ते के बैग को सिर में पहन कर भागते हुए देखा होगा। ऐसा वह किन हालातों में करते हैं, यह जानना भी काफी
रोचक है। फिल्म में कुछ परिस्थितजन्य मर्डर भी होते हैं। कई मराठी फिल्मों में काम कर चुकीं अनुजा साठे भी फिल्म में एक रोचक किरदार में मौजूद हैं। छोटे से रोल में भी वह खासा असर छोड़ती हैं। बेवफा
ब्यूटी गीत में उर्मिला अपने तमाम लटकों-झटकों के साथ मौजूद हैं। फिल्म का इंटरवेल से पहले के भाग की गति कुछ कम है, जो कि कुछ अखरती है क्योंकि इस किस्म की फिल्म शुरू से ही भागती-दौड़़ती हो तो
ज्यादा मजा आता है, क्योंकि तभी दर्शक उस थ्रिल को महसूस कर पाता है, जो इस श्रेणी की फिल्में उसे महसूस करने की उम्मीद रखती हैं। एक फिल्म के तौर पर ब्लैकमेल मनोरंजक है, हालांकि ‘ब्राण्ड इरफान’
से स्तर की गुणवत्ता की उम्मीद पर यह खरी नहीं उतरती।