'बोलने की आजादी है मगर... ', जजों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी यूट्यूबर को पड़ी भारी

'बोलने की आजादी है मगर... ', जजों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी यूट्यूबर को पड़ी भारी

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Hindi NewsIndia NewsSupreme Court suo motu contempt case against YouTuber Ajay Shukla defamatory remarks सीजेआई ने कहा, ‘अजय शुक्ला ने वीडियो क्लिप में कोर्ट के कुछ जजों के खिलाफ अपमानजनक


टिप्पणियां की हैं। यूट्यूब पर व्यापक रूप से प्रसारित ऐसे आरोपों से न्यायपालिका जैसी सम्मानित संस्था को ठेस पहुंचने का खतरा है।’ Niteesh Kumar भाषाFri, 30 May 2025 03:36 PM Share Follow Us on


__ सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के पत्रकार और यूट्यूबर अजय शुक्ला के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की। शुक्ला ने अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो में


एससी के कुछ जजों के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय टिप्पणी की थी। चीफ जस्टिस बीआर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने आज इस मामले पर सुनवाई की। बेंच ने


निर्देश दिया कि आपत्तिजनक वीडियो को तुरंत हटा दिया जाए और चैनल को इस वीडियो या इसी तरह के कंटेंट को फिर से अपलोड करने से रोक दिया जाए। इसने वरप्रद मीडिया के प्रधान संपादक शुक्ला को नोटिस भी


जारी किया। ये भी पढ़ें:मिस वर्ल्ड तक.. कितने राफेल गिरे पूछने वाले रेवंत रेड्डी पर भाजपा का तंज ये भी पढ़ें:मेरे नाम और फोटो का मिसयूज हो रहा माई लॉर्ड, सदगुरु ने खटखटाया अदालत का दरवाजा ये भी


पढ़ें:पड़ोसी को डॉगी ने काटा, जज ने पालतू कुत्ते के मालिक को भेजा चार महीने के लिए जेल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टिप्पणियों को बहुत गंभीर बताया। उन्होंने इस मुद्दे का स्वत: संज्ञान लेने


के लिए पीठ के प्रति आभार व्यक्त किया। सीजेआई ने कहा, ‘अजय शुक्ला ने उक्त वीडियो क्लिप में इस न्यायालय के कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। यूट्यूब पर व्यापक रूप


से प्रकाशित इस तरह के अपमानजनक आरोपों से न्यायपालिका की इस प्रतिष्ठित संस्था की बदनामी होने की आशंका है।’ पीठ ने कहा कि संविधान बोलने की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है,


लेकिन ऐसा अधिकार उचित प्रतिबंधों के जरिए प्रतिबंधित भी है। किस बात पर भड़की अदालत बेंच ने कहा, 'न्यायालय के जजों के बारे में अपमानजनक आरोप लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसी टिप्पणियां


अवमानना की प्रकृति की हैं और न्यायपालिका को अपमानित करती हैं।' कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम स्वत: संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्री को अजय शुक्ला के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करने का


निर्देश देते हैं। यूट्यूब चैनल को प्रतिवादी बनाया जाएगा। अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से न्यायालय की सहायता करने का अनुरोध किया जाता है। पीठ ने कहा कि वह एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए


यूट्यूब चैनल को वीडियो का प्रकाशन रोकने और इसे तुरंत हटाने का निर्देश देती है। शुक्ला ने हाल ही में न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी के खिलाफ टिप्पणी करते हुए वीडियो पोस्ट किया था।