एक्सट्रा मैरिटल अफेयर पति को दहेज हत्या में फंसाने का आधार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

एक्सट्रा मैरिटल अफेयर पति को दहेज हत्या में फंसाने का आधार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर तब तक क्रूरता या आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जाता, जब तक यह साबित न हो जाए कि इससे पत्नी को परेशानी या पीड़ा हुई है।


Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानMon, 2 June 2025 05:45 AM Share Follow Us on __ दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का विवाहेत्तर संबंध (एक्सट्रा मैरिटल अफेयर) तब


तक क्रूरता या आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जाता, जब तक यह साबित न हो जाए कि इससे पत्नी को परेशानी या पीड़ा हुई है। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने यह टिप्पणी दहेज हत्या के आरोपी पति को


जमानत देते हुए की है। बेंच ने कहा कि विवाहेत्तर संबंध दहेज हत्या के लिए पति को फंसाने का आधार नहीं है। बेंच ने कहा कि यदि मृतक महिला की मौत का कारण विवाहेत्तर संबंध थे तो इसमें दहेज की मांग


बीच में कहां से आ सकती है। किसी एक आरोप पर ही विचार किया जाना उचित है। विवाहेत्तर संबंध व दहेज की मांग के बीच साक्ष्यों पर आधारित संबंध साबित किया जाना चाहिए। पेश मामले में दंपती की शादी को


करीब पांच साल हुए थे। 18 मार्च, 2024 को पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। पति को महिला की ससुराल में अप्राकृतिक मौत के मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने के अलावा दहेज हत्या व दहेज उत्पीड़न के


आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अभियोजन पक्ष का कहना था कि मृतक के परिवार के अनुसार आरोपी पति एक महिला के साथ विवाहेतर संबंध में था। इसके समर्थन में कुछ वीडियो व चैट रिकॉर्ड का हवाला दिया गया


है। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप का क्रम उचित नहीं है। हालांकि, बेंच ने यह भी कहा कि इस मामले में आरोपपत्र दायर किया जा चुका है। ऐसे में आरोपी को जेल में रखने से कोई फायदा नहीं है। बेंच ने


कहा कि जब तक महिला जीवित थी, उस दौरान महिला या उसके मायकेवालों की तरफ से दहेज उत्पीड़न की शिकायत नहीं की गई थी। इसलिए इस तरह के आरोप भरोसे के लायक नहीं हैं। सत्र अदालत मामले में पूरी सुनवाई


के बाद ही अंतिम निर्णय सुनाएगी। दहेज हत्या मामले में आरोपी बरी वहीं, दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दहेज हत्या मामले में पति समेत ससुराल पक्ष के अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है। अतिरिक्त


सत्र न्यायाधीश सुशांत चंगोत्रा की अदालत ने कहा कि मामले में गवाहों व साक्ष्यों की कमी के कारण संदेह का लाभ आरोपियों को दिया जाना चाहिए। आरोपियों के खिलाफ थाना अतरौली में एफआईआर दर्ज की गई


थी।