अक्षयवट की तरह है कल्पवृक्ष का भी महात्म्य

अक्षयवट की तरह है कल्पवृक्ष का भी महात्म्य

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PRAYAGRAJ NEWS - संगम के एक तीरे स्थित अक्षय वट की तरह ही दूसरे तीर झूंसी प्रतिष्ठानपुरी में स्थित कल्प वृक्ष भी प्रयाग के प्राचीन तीर्थों में से एक है। कल्प वृक्ष पर शीश नवाने के लिए रोजाना


सैकड़ों की संख्या में... हिन्दुस्तान टीम इलाहाबादSat, 22 Dec 2018 01:51 PM Share Follow Us on __ संगम के एक तीरे स्थित अक्षय वट की तरह ही दूसरे तीर झूंसी प्रतिष्ठानपुरी में स्थित कल्प वृक्ष


भी प्रयाग के प्राचीन तीर्थों में से एक है। कल्प वृक्ष पर शीश नवाने के लिए रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस कल्प वृक्ष पर मनौती लेकर आने वालों में


हिन्दू और मुस्लिम दोनों वर्ग के लोग हैं। झूंसी प्रतिष्ठानपुरी में गंगा तीरे स्थित उल्टा किला के बगल तकरीबन एक हजार साल पुराना कल्प वृक्ष है। आसपास ही नहीं दूर-दराज के गांवों से भी रोजाना


यहां सैकड़ों लोग मनौती लेकर आते हैं। लोगों की ऐसी आस्था है कि यहां मनोकामना लेकर आने पर वह पूर्ण होती है। अलग-अलग आस्था के अनुरूप कोई यहां की मिट्टी खोदकर ले जाता है तो कोई कल्प वृक्ष पर


धागा बांधता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह वृक्ष मुस्लिम और हिन्दू दोनों की आस्था का केंद्र है। माघ, अर्धकुम्भ और कुम्भ में आने वाले श्रद्धालु भी मनोकामनाएं लेकर इस कल्प वृक्ष के दर्शन को


पहुंचते हैं। मुस्लिमों का मत है कि हजार साल पहले यहां शाह शेख तकी बाबा ने दातून करके गाड़ दी थी, उसी दातून ने वृक्ष का रूप धर लिया। इस्लामी धर्मग्रंथों में तुबा नाम से इस वृक्ष का जिक्र है,


जो जन्नत में मिलता है। वहीं, हिन्दू श्रद्धालुओं का मानना है कि हर मनोकामना पूरी करने वाला यह अद्भुत वृक्ष भगवान श्रीकृष्ण इसे स्वर्ग से लाए थे। श्रीमद्भागवद और हरिवंश पुराण में इसका जिक्र


है। संकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी बृजेश ब्रह्मचारी ने कहा कि समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक यह कल्प वृक्ष है। वैज्ञानिकों की टीम भी पूर्व में सर्वेक्षण


करके इसकी पौराणिकता को देखते हुए इसे बचाने की सिफारिश कर चुकी है। कल्प वृक्ष के संरक्षण की गुहार धार्मिक आस्था का केंद्र बने कल्प वृक्ष को भी अक्षय वट की तर्ज पर संरक्षित करने के लिए गुहार


उठी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कुम्भ में जब दूर-दूर तक विकास कराए जा रहे तो लोगों की आस्था के केंद्र कल्प वृक्ष को संरक्षित करने का जतन भी करना चाहिए। जड़ों से मिट्टी खोद कर ले जाने के


कारण कल्प वृक्ष जर्जर हो रहा है। संक्रमण से इसके तने का बड़ा हिस्सा खोखला हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इसे बचने की गुहार लगाने के बाद यहां चबूतरा बनाने का काम शुरू हुआ।


पर अभी तक पूरा नहीं हो सका। मेले से लगे कल्प वृक्ष तक पहुंच मार्ग भी नहीं बना। लोगों की मांग है कि कुम्भ के दौरान जिस तरह धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों का रंग-रोगन कर मरम्मत कराई जा रही है।


उसी तरह कल्प वृक्ष को भी संरक्षित कराया जाए। पूर्व सीएम से भी हुई थी मांग कल्प वृक्ष को संरक्षित करने के लिए स्थानीय लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मांग की थी। पर अब तक कोई खास


प्रयास नहीं हो सका। लोगों का कहना है कि जिस तरह अक्षय वट के दर्शन कराने के लिए पीएम के हस्तक्षेप पर अमला जुटा है, वैसा ही प्रयास कल्प वृक्ष् के लिए भी किया जाए।