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स्वरूपरानी नेहरू चिकिसालय की बदहाली और प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की खस्ता हालत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव को तलब किया है। उनको 30 मई को सुबह 11:30 बजे कोर्ट में होने का निर्देश दिया
है। स्वरूपरानी नेहरू चिकिसालय की बदहाली और प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की खस्ता हालत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव को तलब किया है। उनको 30 मई को सुबह 11:30 बजे कोर्ट में होने का निर्देश
दिया है। चिकित्सा सुविधाओं में सुधार को लेकर हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अस्पताल के अधिकारियों को भी कड़ी फटकार लगाई है। गुरुवार को सुनवाई
के दौरान कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा के हलफनामे को केवल आंखों में धूल झोंकने वाला करार दिया। न्यायालय ने कहा कि प्रमुख सचिव ने स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज का दौरा
भी नहीं किया। अस्पताल की स्थिति दयनीय है और तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें करना पर्याप्त नहीं होगा। कोर्ट ने
प्रयागराज में चिकित्सा सुविधाओं की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से महाकुंभ 2025 के बाद, जहां दो महीने की अवधि में संगम में 66.30 करोड़ लोगों ने पवित्र स्नान किया था। कोर्ट ने कहा
कि राज्य सरकार का पूरा ध्यान लखनऊ पर केंद्रित है, जहां संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित हैं। प्रयागराज
हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया है और दुनिया भर से लोगों के भारी प्रवाह को देखते हुए चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत करने की आवश्यकता है। न्यायालय ने कहा कि प्रयागराज शहर के
लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा को न्यायालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया। एसआरएन अस्पताल के अधीक्षक इंचार्ज, उप-अधीक्षक इंचार्ज और सीएमओ भी कल
उपस्थित रहेंगे। अस्पताल में हुए अतिक्रमण हटाने के निर्देश न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज के साथ-साथ नगर आयुक्त, अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास अतिक्रमण
विरोधी अभियान चलाएं। सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने एसआरएन अस्पताल के उप प्रभारी अधीक्षक को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप के बारे में ढेरों शिकायतें मिली हैं। जल्दी ही आपके
खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा, आपकी एलआईयू और आयकर विभाग से भी जांच कराई जाएगी। ये भी पढ़ें:इस विभाग के 1742 कर्मियों को राहत, पेंशन संग अन्य सेवाओं का भी लाभ : हाई कोर्ट
अधीक्षक ने दिया बदलाव का ब्योरा एसआरएन अस्पताल के अधीक्षक इंचार्ज आरके कमल ने कोर्ट को बताया कि अस्पताल में सफाई का काम शुरू हो गया है। ट्रॉमा सेंटर के साथ-साथ गैस्ट्रोलॉजी और कार्डियोलॉजी
आईसीयू में कुछ एसी (एयर कंडीशनर) काम करने लगे हैं। दवाओं की खरीद के लिए भी आदेश दिए जा चुके हैं। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि बाकी एसी भी जल्द ही काम करने लगेंगे। अधीक्षक इंचार्ज ने यह
भी बताया कि डॉक्टर समय पर ओपीडी में उपस्थित हो रहे हैं और उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पताल के डॉक्टरों की सूची भी प्रस्तुत
की, जिसे रिकॉर्ड में ले लिया गया। उनके अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत डॉक्टर संविदा के आधार पर हैं और अधिकांश नियुक्तियां दो-तीन साल पहले की गई थीं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मुर्दाघर के
अंदर और आसपास सुधार किया गया है और अप्रैल 2025 से कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मुर्दाघर से संबंधित ऐसी कोई शिकायत दोबारा नहीं आएगी। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता,
संजय कुमार सिंह ने बताया कि नगर निगम द्वारा पहले के आदेश के बाद आवश्यक कार्रवाई की गई है और अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास सफाई का काम शुरू हो गया है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता डॉ. राजेश्वर
त्रिपाठी ने बताया कि ओपीडी में उपस्थित रहने वाले डॉक्टरों का विवरण जल्द ही प्रयागराज के लोगों की जानकारी के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाएगा। ये भी पढ़ें:थानों में तैनात इन
कर्मचारियों को हाईकोर्ट की बड़ी राहत, मिलेगा प्रथम ग्रेड-पे मेडिकल कॉलेज के छात्रावासों की हालत जर्जर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि मेडिकल कॉलेज से जुड़े छात्रावास (स्नातक और
स्नातकोत्तर दोनों) अत्यंत खराब स्थिति में हैं। इमारत जर्जर हालत में है और शौचालय/वॉशरूम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिम्मेदार लोगों द्वारा इन छात्रावासों पर कोई ध्यान
नहीं दिया गया है। न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाया गया कि केवल प्रयागराज ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्रावास रहने योग्य नहीं हैं। कोर्ट ने
कहा कि राज्य सरकार द्वारा अस्पताल के मामलों को चलाने के लिए उचित धन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यह भी बताया गया कि 2019 से निर्माणाधीन बच्चों का अस्पताल अभी तक पूरा नहीं हुआ है और बाल रोग
विभाग सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय चर्च लेन में चल रहा है। राज्य सरकार ने पहले यह वचन दिया था कि पूरी सुविधा सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय से एसआरएन अस्पताल परिसर में स्थानांतरित कर दी जाएगी।