मुर्गे पर चढ़ा होली का रंग, लगाई डबल सेंचुरी, कोरोना से संकट में फंसे पोल्‍ट्री कारोबार को मिली बूस्‍टर डोज 

मुर्गे पर चढ़ा होली का रंग, लगाई डबल सेंचुरी, कोरोना से संकट में फंसे पोल्‍ट्री कारोबार को मिली बूस्‍टर डोज 

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Hindi NewsUP Newschicken rates become double in holi season poultry business got booster corona crisis in gorakhpur कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक प्रभावित पोल्ट्री उद्योग को होली के त्योहार से


बूस्टर डोज मिला है। साल भर बाद फुटकर में मुर्गे की कीमत 200 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है। डबल सेंचुरी लगा चुके मुर्गे के भाव... Ajay Singh अजय श्रीवास्‍तव , गोरखपुर Fri, 26 March 2021 05:46


PM Share Follow Us on __ कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक प्रभावित पोल्ट्री उद्योग को होली के त्योहार से बूस्टर डोज मिला है। साल भर बाद फुटकर में मुर्गे की कीमत 200 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है।


डबल सेंचुरी लगा चुके मुर्गे के भाव में होली को देखते हुए अभी और बढ़ोतरी की उम्मीदें हैं। होली में सामान्य दिनों की तुलना में मुर्गे की मांग में चार से पांच गुने की बढ़ोतरी हो जाती है।


उत्पादन कम होने और मांग अधिक होने का नतीजा है कि मुर्गे की कीमतें फुटकर में 200 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है। कहीं-कहीं 180 रुपये प्रति किलो की दर से भी मुर्गा मिल रहा है, लेकिन उसकी साइज


अपेक्षाकृत बड़ी है। कोरोना के दस्तक के साथ ही मुर्गें की कीमतें धड़ाम हो गई थी। एक समय तो मुर्गा महज 20 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा था। सिर्फ गोरखपुर के कारोबारियों की 50 करोड़


से अधिक की पूंजी बर्बाद हो गई। कारोबारी अनूप कुमार कहते हैं कि ‘गोरखपुर में 200 से अधिक पोल्ट्री फार्म बंद हुए हैं। कोरोना का खौफ कम होने के बाद भी पोल्ट्री फार्म संचालकों ने चूजा नहीं डाला


है। पहली बार मुर्गे की डिमांड अच्छी हुई है। पोल्ट्री फार्म संचालित करने वाले जित्तन जायसवाल का कहना है कि ‘मुर्गे की लागत तक मिलती है, जब वह 80 से 83 रुपये प्रति किलो की दर से बिके। पहली बार


थोक में खड़े मुर्गे की कीमत 105 रुपये प्रति किलो पहुंची है। होली में इसके 120 रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।’ 5 करोड़ से अधिक कीमत का बिकेगा मुर्गा होली में एक दिन पहले सिर्फ गोरखपुर शहर


में 5 करोड़ से अधिक कीमत का मुर्गा बिकने का अनुमान है। वर्तमान में मुर्गे की डिमांड पोल्ट्री फार्म संचालक पूरी नहीं कर पा रहे हैं। थोक कारोबारी जित्तन जायसवाल बताते हैं कि ‘गर्मी में मुर्गे


की ग्रोथ धीमी हो जाता है। 38 से 40 दिन में मुर्गा सिर्फ 2 किलोग्राम का होता है। वहीं जाड़े में 45 दिन में 3 से 3.50 किलोग्राम का मुर्गा तैयार हो जाता है। होली में मांग पांच गुना तक बढ़ जाती


है।’ पोल्ट्री फार्म संचालकों ने अधिक मात्रा में चूजा नहीं डाला है, ऐसे में मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ना तय है। होली में मुर्गा फुटकर में 220 से 250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकता है।


होली के लिए देना पड़ा एडवांस फुटकर कारोबारियों को होली को देखते हुए थोक कारोबारियों को एडवांस देना पड़ा है। बिछिया में फुटकर बिक्रेता चांद मोहम्मद कहते हैं कि ‘मांग के मुताबिक मुर्गा नहीं


मिल रहा है। इसके साथ ही होली को देखते हुए एडवांस पेमेंट करना पड़ा है।’ इतना ही नहीं देसी मुर्गे की डिमांड भी बढ़ गई है। गांवों में जिसके पास मुर्गा है उसकी नीलामी जैसी स्थिति हो गई है।


काकरेल खड़ा मुर्गा जहां 1200 से 1500 रुपये में बिक रहा है, वहीं देसी मुर्गे की कोई कीमत नहीं रह गई है। पादरी बाजार के कार्तिकेय बताते हैं कि ‘भटहट के पास देसी मुर्गा बुक किया है। 1000 रुपये


देकर एडवांस बुकिंग कराया है।’