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जिस शहर में दुर्गा प्रतिमाओं के शिल्पकारों को शारदीय नवरात्र के 20 दिन पहले बात करने की फुर्सत नहीं मिलती थी, वहां के हालात और माहौल बदल चुके हैं। तीन प्रमुख प्रतिमा कारखानों में एक पर ताला
लग चुका... __ जिस शहर में दुर्गा प्रतिमाओं के शिल्पकारों को शारदीय नवरात्र के 20 दिन पहले बात करने की फुर्सत नहीं मिलती थी, वहां के हालात और माहौल बदल चुके हैं। तीन प्रमुख प्रतिमा कारखानों
में एक पर ताला लग चुका है। दूसरे में प्रतिमाओं की संख्या आधी हो चुकी है। तीसरे में माडर्न शैली की ही प्रतिमाएं बनी हैं। बंद हुआ कारखाना बंसीचरण पाल का है जिसकी स्थापना पांडेय हवेली में 80
साल पहले हुई थी। सोनारपुरा के देवी मूर्ति भवन में निर्मल दा ने इस वर्ष सिर्फ 25 दुर्गा प्रतिमाओं का ही निर्माण किया है। वहीं देवनाथपुरा स्थित गोपालचंद डे के कारखाने में ओरियंटल शैली की सिर्फ
एक प्रतिमा बनाई गई है, बाकी मॉडर्न शैली की हैं। साजसज्जा का खर्च बढ़ा कारखानों की इस स्थिति के लिए गंगा में प्रतिमा विसर्जन पर रोक और बढ़ती महंगाई जिम्मेदार है। बेस मैटीरियल के रूप में
मिट्टी व पटुआ (सन) जबकि साज और शस्त्र सजावट में इस्तेमाल होते हैं। सर्वाधिक इजाफा साज की कीमतों में हुआ है। दो वर्ष पूर्व सामान्य साज का एक सेट 350 रुपए में मिलता था। अब साढ़े तीन हजार देने
पड़ रहे हैं। स्पेशल साज साढ़े सात से दस हजार के हैं। अस्त्र-शस्त्र का एक सेट 300 से बढ़कर नौ सौ रुपए हो गया है। पटुआ, बाल के भी दाम बढ़े पश्चिम बंगाल में जूट कारखाने बंद होने का असर पटुआ (सन)
के उत्पादन पर पड़ा है। सन का उत्पादन लगभग ठप है। जो कर रहे हैं वे मुंहमांगी कीमत वसूल रहे हैं। 65 रुपए किलो से पटुआ 130 रुपए किलो हो गया है। मिट्टी तो मुफ्त में मिलती है लेकिन सामने घाट से
सोनारपुरा तक एक ट्राली मिट्टी लाने का मेहनताना चार सौ रुपए हो गया है। बाल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। तीन सौ रुपए गुरुस (12 दर्जन) मिलने वाला बाल इस वर्ष सात से नौ सौ रुपए गुरुस है। घरों
में पूजन के लिए देवी लक्ष्मी की 60 और मां काली की 18 प्रतिमाएं बनाता था। इस वर्ष लक्ष्मी की एक प्रतिमा नहीं बनाई है। मां काली की मात्र तीन प्रतिमाएं बना रहा हूं। गंगा में विसर्जन रुकने के
बाद घरेलू पूजा लगभग बंद हो गई है। दुर्गाजी की 25 प्रतिमाएं ही बन रही हैं। -निर्मल दा, देवी मूर्ति भवन, सोनारपुरा निर्माण सामग्री की कीमतों के कारण लागत बढ़ती जा रही है जबकि पूजा आयोजक प्रतिमा
की अधिक कीमत देने से कतरा रहे हैं। वे पंडाल और सजावट पर दिल खोल कर खर्च कर रहे हैं लेकिन प्रतिमा के लिए हाथ खड़े कर दे रहे हैं। -गोपाल चंद डे, विश्वनाथ मूर्ति भंडार, देवनाथपुरा मूर्ति
निर्माण की कीमतों पर एक नजर वस्तु- 2016- 2018 पुआल- 400 रु. प्रतिकुंतल- 900 रु. प्रतिकुंतल बांस- 50 रु. (आठ फीट)- 85रु. (आठ फुट) लकड़ी- 800 रु. प्रति कुंतल- 16 सौ रु. कुंतल सुतली- 65 रु.
किलो- 105 रु. किलो कील- 40 रु. किलो- 65 रु.किलो मिट्टी ढुलाई- 200 रु.ट्राली- 400 रु. ट्राली गहना(सामान्य)- 500 रु. सेट- 1500रु.सेट गहना(स्पेशल)- 3000 रु.सेट - 12000 रु.सेट