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ये सभी अभियंता वर्तमान में सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब शासन यह जांच कर रहा है कि क्या इन अभियंताओं से शासकीय धन की क्षतिपूर्ति कराई जाए? इस पर सवाल उठ रहे हैं कि यदि कार्रवाई समय पर
होती, तो यह स्थिति नहीं आती। अब शासन की नीयत पर भी सवाल उठ रहा है। यूपी की राजधानी लखनऊ में अवैध निर्माणों को अनदेखा करने वाले 25 इंजीनियरों पर अब रिटायरमेंट के बाद कार्रवाई की तलवार लटक गई
है। लेकिन इस बार सवाल यह उठ रहा है कि जब ये अभियंता सेवा में थे, तब शासन और प्राधिकरण क्यों खामोश रहा? अब जब ये सभी अभियंता रिटायर हो चुके हैं, तब कार्रवाई की फाइल क्यों खुलवाई गयी। 10
वर्षों तक इन्हें क्यों दबाए रखा गया। संरक्षण देने का आरोप लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात रहे 25 इंजीनियरों पर शहर में अवैध निर्माण कराने तथा उनके ध्वस्तीकरण न करने का आरोप लगाया गया है। इन
इंजीनियरों ने निमार्णों की अनदेखी की। संरक्षण देने का भी आरोप है। इनमें एलडीए के तत्कालीन अवर अभियंता ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव, रामचंद्र यादव, एसके अवस्थी, योगेश जौहरी, अनिल कुमार सिंह,
कुलदीप त्यागी, आर एन चौबे, जनार्दन सिंह, वीसी जरिया, गजराज सिंह, पौहरी यादव, संजय निगम, ओपी गुप्ता, अब्दुल रऊफ सहित कई वरिष्ठ और कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं। ये भी पढ़ें:नक्शा पास करने में
आनाकानी! यूपी के 80% प्राधिकरणों में सामने आई ये दिक्कत जांच में दोषी पाए गए, अब हैं रिटायर सहायक अभियन्ताओं में एके सिंह, डीएस भदौरिया, अरुण कुमार सक्सेना, गिरीश चंद्र शर्मा, सुनील कुमार,
दूधनाथ, चंद्रभानु, एसएन प्रसाद, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, राजेंद्र कुमार, और अवैध निर्माण अभियंता राकेश मोहन के नाम भी सूची में हैं। इन सभी को हाईकोर्ट में अवैध निर्माणों के सम्बंध में चल रही
पीआईएस संख्या 1737/2012 के मामले में करायी गयी जांच में दोषी बताया गया। अब ये सभी इंजीनियर रिटायर हो चुके हैं। अब इन सभी की फाइलें खोली गयी हैं। आरोपी होने के बावजूद खुद शासन ने इनमें से कई
इंजीनियरों को पदोन्नति भी दे दी थी। ये भी पढ़ें:जानें UP पुलिस के दरोगा से क्यों नाराज हुई कोर्ट? सैलरी से 50 रुपए काटने का आदेश रिटायरमेंट के बाद पूछताछ पर सवाल वर्तमान में ये सभी अभियंता
सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब शासन यह जांच कर रहा है कि क्या इन अभियंताओं से शासकीय धन की क्षतिपूर्ति कराई जाए? इस पर सवाल उठ रहे हैं कि यदि कार्रवाई समय पर होती, तो यह स्थिति नहीं
आती। अब शासन की नीयत पर भी सवाल उठ रहा है। विशेष सचिव ने मांगी रिपोर्ट शासन के विशेष सचिव महेंद्र प्रसाद भारती ने 3 मई 2025 को एलडीए के उपाध्यक्ष को पत्र भेजा है, जिसमें स्पष्ट किया गया है
कि मामले की पुनरावलोकन के तहत दोषी अभियंताओं की जवाबदेही तय की जाए। एलडीए के दो जनवरी 2025 की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने प्राधिकरण से और सूचनाएं मांगी हैं।