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अंकिता भंडारी की जान लेने वाले हैवान को आजीवन जेल की सजा अपने लिए शायद बहुत छोटी लग रही है। कोर्ट से अपनी सजा सुनकर वह हंसता-मुस्कुराता हुआ निकला सौरभ भास्कर। Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान,
कोटद्वारFri, 30 May 2025 05:15 PM Share Follow Us on __ अंकिता भंडारी की जान लेने वाले हैवान सौरभ भास्कर को उम्रकैद की सजा अपने लिए शायद बहुत छोटी लग रही है। सजा सुनकर वह अदालत से
हंसता-मुस्कुराता हुआ निकला। ना सिर्फ बेशर्मी से हंसता रहा बल्कि मीडिया के कैमरों को देखकर हीरो की तरह पोज देने लगा। वह चेहरे पर मुस्कान के साथ हाथ हिलाकर तस्वीरें खिंचवाने लगा। उत्तराखंड में
पौड़ी जिले के यमकेश्वर में स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करने वाली 19 साल की अंकिता भंडारी की हत्या 18 सितंबर 2022 को कर दी गई थी। रिजॉर्ट चलाने वाले पुलकित आर्य ने
अपने दो कर्मचारियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था। ये भी पढ़ें:अंकिता के कातिलों की जेल में कटेगी जिंदगी, एक्स्ट्रा सर्विस से इनकार पर मार डाला पुलकित
के पिता तब भाजपा के नेता थे और राजनीतिक कनेक्शन जुड़ने के बाद इस घटना को लेकर बड़ा बवाल हुआ था। 2 साल 8 महीने तक चली सुनवाई के बाद कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने
शुक्रवार को तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया और आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई । सजा सुनाए जाने के वक्त तीनों कातिल कोर्टरूम में मौजूद थे। सजा सुनाए जाने के बाद भारी सुरक्षा के बीच तीनों को
जेल ले जाया गया। अदालत से निकलने के बाद दोषियों के चेहरे पर कोई खास दुख या पछतावा नजर नहीं आया, बल्कि सौरभ भास्कर तो हंसता हुआ नजर आया। काले रंग की टोपी पहने सौरभ कैमरों को देखकर मुस्कुराता
रहा और फिर हाथ उठाकर किसी अभिनेता या नेता की तरह पोज देने लगा। अब उसका यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है। देखिए वह वीडियो नहर में धक्का देकर ली थी जान अभियोजन पक्ष के अनुसार, किसी बात को लेकर
अंकिता और पुलकित में विवाद हो गया था जिसके बाद उसने अपने कर्मचारियों भास्कर और गुप्ता के साथ मिलकर उसे ऋषिकेश की चीला नहर में धक्का दे दिया था, जिसमें डूबने से उसकी मौत हो गई। नहर से अंकिता
का शव मिलने के बाद पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था। मामले के प्रकाश में आने के बाद स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा था जिसे शांत करने के लिए
राज्य सरकार को उसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन करना पड़ा था।