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बैठक में शामिल एक सीईओ ने बताया कि ऐसा लग रहा था कि वहां प्रधानमंत्री के सामने कॉरपोरेट लड़ाई लड़ी जा रही है। By Edited By: Publish Date: Fri, 29 Jun 2018 09:17:21 AM (IST) Updated Date: Fri,
29 Jun 2018 09:18:51 AM (IST) कमरे में तनाव था, ऐसा लग रहा था कि वहां प्रधानमंत्री के सामने कॉरपोरेट लड़ाई लड़ी जा रही हैः बैठक में शामिल एक सीईओ मुंबई। एक कंपनी के अधिग्रहण को लेकर कानूनी
लड़ाई लड़ रहे देश के दो बड़े कॉर्पोरेट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी आपस का तनाव छुपा नहीं पाए। उन्होंने मोदी के सामने ही एक-दूसरे को खरी-खोटी सुना दी। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने मुंबई
में देश के दिग्गज कॉर्पोरेट्स के साथ एक खास बैठक की थी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मौके पर आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल
आमने-सामने आ गए। दोनों ने दिवालिया कानून पर अलग-अलग राय दी। दरअसल "नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में बिड़ला की कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट और पीरामल ग्रुप की कंपनी डालमिया भारत बिनानी
सीमेंट को खरीदने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। बिड़ला के अधिकारी पहले भी कह चुके हैं कि उनकी बोली सबसे अधिक होने के बावजूद उन्हें रिजोल्यूशन प्रक्रिया के दौरान कम अंक दिए गए। पीरामल-डालमिया
ग्रुप को बिनानी सीमेंट के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला ग्रुप चुना गया। इस वजह से एनसीएलटी में दोनों के बीच तनाव चल रहा है। बहरहाल, बैठक में मौजूद एक सूत्र ने बताया कि पीरामल ने मोदी से कहा
कि एनसीएलटी की प्रक्रिया को कुछ लोग बिगाड़ रहे हैं। ये लोग बोली के दौरान हार गए, लेकिन अब दूसरे तरीकों से रेस में आना चाहते हैं। इस पर बिड़ला ने कहा कि एनसीएलटी की प्रक्रिया स्पष्ट है। इसमें
सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को कंपनी मिलनी चाहिए न कि कानूनी रास्ते से। बिड़ला ने यह भी कहा कि एनसीएलटी की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए, जिसमें हिस्सा लेने वाले सभी पक्षों को कम से कम त्याग करना
पड़े। दिलचस्प है कि दोनों ने बैठक में यह नहीं बताया कि वे बिनानी सीमेंट को खरीदने की दौड़ में हैं। इस बारे में जब बिड़ला के प्रवक्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ग्रुप का मत साफ है कि सबसे
ऊंची बोली लगाने वाले को ही एनसीएलटी की प्रक्रिया के तहत कंपनी मिलनी चाहिए। कॉरपोरेट युद्ध जैसे हालात - बैठक में मौजूद एक सीईओ ने कहा, "कमरे में तनाव था। ऐसा लग रहा था कि वहां पीएम के
सामने कॉरपोरेट लड़ाई लड़ी जा रही है। हममें से कुछ लोग इस वाकयुद्ध से सहज नहीं थे।" सूत्र के मुताबिक प्रधानमंत्री ने दोनों की बात पर कोई टिप्पणी नहीं की। सिफ उन्हें सुना। अल्ट्राटेक
आक्रामक - पीरामल-डालमिया ग्रुप के चुने जाने के बाद बिड़ला की कंपनी अल्ट्राटेक ने बिनानी सीमेंट के प्रमोटरों से हाथ मिला लिया और बैंकों को कंपनी के लिए 7,960 करोड़ रुपए का ऑफर दे दिया। सुप्रीम
कोर्ट जाने की धमकीफिलहाल यह मामला एनसीएलटी में है। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों कंपनियों ने धमकी दी है कि यदि फैसला उनके पक्ष में नहीं रहा तो वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जाहिर है, यह लड़ाई लंबी चलने
वाली है।