Politics of assam: भूपेश को पांच गारंटी पर भरोसा तो जनता मांगे मोर

Politics of assam: भूपेश को पांच गारंटी पर भरोसा तो जनता मांगे मोर

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POLITICS OF ASSAM: असम विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री बघेल ने की तीन चुनावी सभा। By AZMAT ALI Edited By: AZMAT ALI Publish Date: Mon, 05 Apr 2021 05:01:45 PM (IST) Updated


Date: Mon, 05 Apr 2021 05:01:45 PM (IST) गुवाहाटी से मृगेंद्र पांडेय। POLITICS OF ASSAM: असम के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आखिरी चुनावी सभा बरपेटा जिले के


बहुरिया में हुई। इस सभा में बघेल ने कांग्रेस की पांच गारंटी को जनता के बीच रखा। बघेल जिस समय पांच गारंटी गिना रहे थे, उस समय सभा में मौजूद भीड़ जोरदार तालियां बजा रही थी। मुस्लिम बहुल सेंगा


विधानसभा में करीब एक लाख 40 हजार वोटर हैं। असम में कांग्रेस को अपनी पांच गारंटी पर भरोसा है, तो जनता इससे कुछ ज्यादा की उम्मीद लगाए बैठी है। मुख्यमंत्री बघेल ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तीन


चुनावी सभाएं ली, जिसमें पांच गारंटी पर वोट करने की अपील की। असम चुनाव में एनआरसी-सीएए प्रमुख मुद्दा है। दूसरा मुद्दा जमीन के पट्टे का है। मुख्यमंत्री बघेल भी अपनी सभा की शुरुआत सीएए लागू


नहीं होने का वादा करके करते हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के वादों को याद दिलाते हैं और लोगों से हाथ उठाकर इन वादों पर समर्थन करने की अपील करते हैं। कांग्रेस ने अपने


घोषणापत्र में दावा किया है कि उसकी सरकार बनने पर सरकारी स्वामित्व वाली जमीन का भूमिहीनों को पट्टा दिया जाएगा। दरअसल, बघेल के इसी वादे के साथ छत्तीसगढ़ माडल की शुरुआत हो जाती है। कांग्रेस ने


छत्तीसगढ़ में भी भूमिहीनों और जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को पट्टे देने का काम किया है। इसके बाद बघेल 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की गारंटी दोहराते हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार 400


यूनिट तक बिजली बिल को आधा करती है। लोअर असम में तीसरे चरण में चुनाव होना है। यहां अधिकांश सीटों पर मुस्लिम वोटरों का प्रभाव है। यहां सीएए, जमीन का पट्टा और मुफ्त बिजली सबसे प्रभावी मुद्दा


है, जो कांग्रेस की प्रमुख गारंटी है। बघेल ने चाय बगान के मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने का भी वादा किया। बघेल ने कहा कि देश के अन्य कई राज्यों में काम करने वाले चाय मजदूरों की तुलना में भी असम के


चाय श्रमिकों की दिहाड़ी सबसे कम है। उन्होंने महंगाई और रोजगार का मुद्दा भी उठाया। छत्तीसगढ़ की टीम ने जगाई असम में उम्मीद छत्तीसगढ़ के करीब एक हजार कार्यकर्ताओं ने असम की अलग-अलग विधानसभा में


बूथ स्तर पर काम किया। स्थानीय निवासी बृजेंद्र दास ने कहा कि छत्तीसगढ़ की फिल्मों ने स्थानीय स्तर पर चुनाव प्रबंधन बेहतर किया है। रोजगार और चाय बगान के मजदूरों की मजदूरी बड़ा मुद्दा है, जिसे


पिछली सरकार पूरा करने में फेल रही है। कांग्रेस में महिलाओं को हर महीने 2000 देने का वादा किया है, उसे पूरा कर पाना एक चुनौती रहेगी। असम के पिछले चुनाव में क्या हुआ था? असम विधानसभा के 2016


के चुनाव में भाजपा को 60, कांग्रेस को 26, आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को 13, असम गण परिषद को 14, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट को 12 और निर्दलीय को एक सीट मिली थी।