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दंपत्ति ने बिथूर स्टेशन आने पर सूचना देने को कहा था। यहां भी लापरवाही करते हुए उन्हें बिथूर से 100 किलोमीटर पहले उतार दिया था। By NAVODIT SAKTAWAT Edited By: NAVODIT SAKTAWAT Publish Date:
Fri, 02 Apr 2021 05:24:16 PM (IST) Updated Date: Fri, 02 Apr 2021 05:24:15 PM (IST) राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने लापरवाही के 10 साल पुराने मामले में भारतीय रेलवे पर 3 लाख रुपए का
हर्जाना लगाया है। सितंबर 2010 में भारतीय रेलवे ने लोवर बर्थ होने के बावजूद एक बुजुर्ग यात्री को सीट नहीं दी थी। इसी मामले पर अब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। बुजुर्ग दंपति ने एसी कोच में
नीचे बैठकर की थी यात्रा मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बुजुर्ग दंपति ने 4 सितंबर 2010 को सोलपुर से बिथूर जाने के लिए सीट बुक कराई थी, दिव्यांग कोटे के बावजूद उन्हें रेलवे ने लोवर बर्थ नहीं दी
थी। इसके बाद दंपत्ति ने टीटी से भी नीचे वाली सीट देने का निवेदन किया पर उसने भी लोवर बर्थ देने से मना कर दिया। अंत में बुजुर्ग नीचे बैठकर यात्रा करने लगे। यह देखकर दूसरे यात्री ने उन्हें
अपनी सीट दे दी थी। इसके बाद दंपत्ति ने कोच अटेंडेंट से बिथूर स्टेशन आने पर सूचना देने को कहा। यहां भी लापरवाही करते हुए उन्हें बिथूर से 100 किलोमीटर पहले चिकजाजुर में उतार दिया गया था। रेलवे
का नियम भी तोड़ाः 6 सीट खाली थी पर लोअर बर्थ नहीं दी भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक सीनियर सिटीजन यदि अपनी पसंद की सीट ना तय करें तब भी उन्हें लोअर सीट देना जरूरी है। साथ ही ट्रेन में
यात्रा के दौरान लोअर बर्थ खाली रहने पर टिकट चेकिंग स्टाफ दिव्यांग, सीनियर सिटीजन या गर्भवती महिला की सीट बदलकर लोअर बर्थ दे सकता है। उस समय ट्रेन में 6 लोअर बर्थ खाली भी थे फिर भी बुजुर्ग
दंपत्ति को उनकी जरूरत के अनुसार सीट नहीं दी गई। इस बात को लेकर उन्होंने कोर्ट में मुकदमा दायर किया था और लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग की थी। इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने
रेलवे को 3 लाख 2 हजार मुआवजा और 2500 रुपए केस लड़ने का खर्च देने को कहा था, पर रेलवे ने राज्य आयोग में इसके खिलाफ अपील की। अंत में मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंचा और रेलवे
को यहां भी मुआवजा देना पड़ा।