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सबरीमाला, 15 जनवरी (आईएएनएस)। सबरीमाला मंदिर में मंगलवार शाम रिकॉर्ड दो लाख तीर्थयात्रियों ने आकाशीय रोशनी देखी। यह आकाशीय रोशनी, जिसे मकर विल्लुकु कहा जाता है, तीर्थ यात्रा के दौरान एक
महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह रोशनी नवंबर में शुरू हुए दो महीने लंबे त्योहार के मौसम में तीन बार दिखाई देती है और यह तीर्थयात्रियों के लिए एक दिव्य संकेत होता है। सबरीमाला मंदिर प्रसिद्ध
है और पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में समुद्र तल से 914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर पथानामथिट्टा जिले में पंबा से चार किलोमीटर ऊपर है, जो राज्य की राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।
तीर्थयात्री सुबह से ही इस आकाशीय रोशनी को देखने के लिए उत्सुक रहते हैं। शाम करीब 6:44 बजे आकाशीय रोशनी पहली बार दिखाई दी और इसके बाद दो बार और यह रोशनी देखी गई। इसके साथ ही मंदिर शहर में
स्वामी सरनयप्पा के जयकारे गूंज उठे। मंदिर शहर और उसके आसपास सुरक्षा का नेतृत्व करने वाले एडीजीपी एस. श्रीजीत ने कहा कि करीब दो लाख तीर्थयात्री हैं और पूरी स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने यह
भी कहा कि अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या राज्य के तीर्थयात्रियों से अधिक थी। बता दें कि रजस्वला महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले इस मंदिर तक पंबा
नदी से केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है। परंपरा के अनुसार, पवित्र मंदिर में जाने से पहले, तीर्थयात्री आमतौर पर 41 दिनों की कठोर तपस्या करते हैं, जिसमें वे जूते नहीं पहनते, काली धोती पहनते हैं
और सिर्फ शाकाहार करते हैं। तीर्थ यात्रा के दौरान प्रत्येक तीर्थयात्री अपने सिर पर ल्रुमुडी रखते हैं, जो एक प्रार्थना किट है जिसमें नारियल होते हैं जिन्हें 18 सीढ़ियां चढ़ने से ठीक पहले तोड़ा
जाता है और इसके बिना किसी को भी सन्निधानम में पवित्र 18 सीढ़ियों पर चढ़ने की अनुमति नहीं होती है। --आईएएनएस पीएसएम/एकेजे Advertisment डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर
है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.