Play all audios:
देशभर में हर साल 2 जून को राष्ट्रीय प्रथम महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन अमेरिका की अग्रणी महिलाओं द्वारा राष्ट्र की सेवा में निभाई गई भूमिका को मान्यता देता है और उसकी सराहना करता है.
अभिनेत्रियों और कलाकारों से लेकर विद्वानों और कार्यकर्ताओं तक, महिलाओं ने इस भूमिका को संभाला है. प्रथम महिला की भूमिका लचीली और बाध्यकारी दोनों है, जो बदलाव लाने का अवसर प्रदान करती है और
उच्च स्तर की सार्वजनिक जांच होती है. Advertisment पहली महिला ट्रेन ड्राइवर देश की महिलाएं आज हर उस क्षेत्र में नए- नए मुकाम हासिल कर रही हैं जिनके कभी वो सपने देखती थीं. आज हम आपको देश की
पहली महिला ट्रेन ड्राइवर के बारे में बताने वाले हैं. वो कोई और नहीं बल्कि सुरेखा यादव थीं. सुरेखा यादव ने 1989 में पहली बार ट्रेन चलाकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया था पहली
महिला ऑटो ड्राइवर पहली महिला पीएम , पहली महिला सीएम यहां तक की पहली महिला शिक्षिका के बारे में तो आप सभी जानते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पहली महिला ऑटो ड्राइवर कौन हैं ? नहीं
ना आज हम आपको बताते हैं देश की पहली महिला ऑटो ड्राइवर शीला दावरे हैं. शीला दावरे पुणे में रहती हैं और वो महज 18 साल की उम्र से ऑटो चला रही हैं. शीला दावरे ने मैटाडोर, स्कूल बस तक को चलाया
है. हालांकि अब उनकी खुद की ट्रैवल कंपनी है. बता दें कि शीला दावरे के नाम लिम्का बुक रिकॉर्ड भी है. पहली महिला डॉक्टर 19वीं सदी जब नारी की शिक्षा पर जोर दिया गया तो हमारे देश को पहली महिला
डॉक्टर मिली और वो आनंदी गोपाल जोशी थीं. आनंदी गोपाल जोशी उस उम्र में डॉक्टर बनी थी जब महिलाओं को उच्च शिक्षा पाना काफी मुश्किल था. हालांकि देश ने अपनी पहली महिला डॉक्टर को 21 साल की उम्र में
अलविदा कहना पड़ा था. बता दें कि आनंदी गोपाल जोशी ने अपने बचपन से ही बहुत कुछ झेला था. उनकी 9 साल की उम्र में 20 साल बड़े विधुर से शादी कर दी गई थी. ये भी पढ़ें- क्या मां-बाप को होती है
बच्चों से जलन? जानिए इस बात में कितनी है सच्चाई DISCLAIMER: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. NEWS NATION इसकी पुष्टि नहीं करता है.