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डॉक्टर को बीमारी पता लगाने में मिलेगी मदद हेल्थ अकाउंट बनने से उसमें रिकॉर्ड का संधारण करने का फायदा मिलेगा। अक्सर देखते हैं कि मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो डॉक्टर उससे बीमारी के
बारे में जानकारी लेता है। पूर्व की जांच रिपोर्ट मांगता है, लेकिन उनका रिकॉर्ड नहीं होने से दिक्कत आती है। ऐसे में फिर से सभी रिपोर्ट आने के बाद संबंधित मरीज का उपचार शुरू होता है। पुराना
रिकॉर्ड रहे, तो डॉक्टर को बीमारी तलाशने में मदद मिलती है। आभा एप करना होगा डाउनलोड यह अकाउंट संबंधित मरीज के मोबाइल में भी आराम से जनरेट हो जाएगा। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को मोबाइल के प्ले
स्टोर पर जाना होगा। यहां से आभा एप सर्च करें। इसके बाद लिंक खुल जाएगी। वहां से इसे डाउनलोड कर सकते है। इसको ओपन कर मोबाइल नंबर डालना होगा, जिसमें संबंधित मोबाइल पर ओटीपी आएगी। इसको भरने के
बाद नाम पता सहित अन्य जानकारियां भी पूरी करनी जरूरी की गई है। ये सब डिजीटल रहेगा रिकॉर्ड डिजीटल रिकॉर्ड में डॉक्टर्स और हॉस्पिटल का पर्चा रख सकते हैं। डॉक्टर्स या अस्पताल का नाम और उनसे
मिलने का समय का रिकॉर्ड शामिल है। वहीं, लैब रिर्पोट में संबंधित व्यक्ति लैब का नाम, रिपोर्ट की स्थिति और स्थिति या बीमारी का रिकॉर्ड रख सकते हैं। इमेज में एक्सरे, एमआरआई, सीटी स्कैन सहित
अन्य जांच रिपोर्ट अपलोड कर सकते हैं। मेडिकल खर्च का हिसाब भी रख सकते हैं, जिसमें उपचार में कितना खर्चा, उसकी राशि, पेमेंट मोड और उसकी रसीद शामिल है। इसके साथ ही डॉक्टर्स के नोट भी रखे जा
सकते हैँ। जिसमें डॉक्टर्स और अस्पताल ने संबंधित मरीज की जांच कर जो टीप लिखी है, उसे रिकॉर्ड में रख सकते हैं। वहीं, वहीं, वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड भी रख सकते हैं। संभाग में सबसे ज्यादा छतरपुर
में बने आयुष्मान आयुष्मान योजना के तहत कार्ड बनाने में छतरपुर जिला संभाग में सबसे आगे है। आयुष्मान भारत योजना में जिले में 8 लाख कार्ड बनाए जा चुके हैं। आयुष्मान प्रभारी शिवम लखेरा ने बताया
कि जिले में अब तक 75 फीसदी से कार्ड बनाए जा चुके हैं। इस योजना के तहत गरीब तबके के लोगों को पांच लाख रुपए तक इलाज मुफ्त दिया जा रहा है। नगरीय निकायों के साथ गांव-गांव में शिविर लगाकर कार्ड
बनाए जा रहे हैं। इनका कहना है आयु्ष्मान धारकों के लिए आभा एप के जरिए मरीज का अकाउंट बन जाएगा। डिजीटल रिकॉर्ड से डॉक्टर को मरीज की हिस्ट्री उपलब्ध होने से इलाज में सुविधा होगी। मरीजों को भी
अपनी पुरानी रिपोर्ट की हार्डकॉपी रखने की जरूरत नहीं रहेगी। डॉ आरपी गुप्ता, सीएमएचओ