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जागरण संवाददाता मधुपुर (देवघर) देवघर को आत्मनिर्भर बनाने में मधुपुर का कटहल बेल और By JagranEdited By: Updated: Thu, 18 Mar 2021 12:46 AM (IST) जागरण संवाददाता, मधुपुर (देवघर): देवघर को
आत्मनिर्भर बनाने में मधुपुर का कटहल, बेल और जामुन कारगर हो सकता है। कटहल की मांग दूसरे प्रांतों में है। कारोबारी की मानें तो बिहार, यूपी समेत अन्य प्रांतों में दो से तीन करोड़ का केवल कटहल
भेजा जाता है। यदि उसे सहेज कर रखने की व्यवस्था हो तो सालों भर इसकी मांग पूरी की जाती रहेगी और व्यापारियों को उचित दाम मिलेगा। दूसरा सरकार ध्यान देगी तो किसान का मनोबल बढ़ेगा। प्रोसेसिग की
व्यवस्था सही ढंग से हो। तो लंबे समय तक संरक्षित और सुरक्षित रखा जा सकेगा। मधुपुर ही नहीं जिले की जमीन पर कटहल के पेड़ बड़ी तेजी से बढ़ते हैं। कटहल के फल का यहां के जनजीवन में कई तरह से
इस्तेमाल होता है। सब्जी से लेकर पकौड़े बनाकर बड़े चाव से झारखंड के लोग खाते हैं। पके हुए कटहल के कोआ का स्वाद मत पूछिए। इसकी सुगंध और मिठास से पूरा वातावरण सुगंधित हो उठता है। यहां के कटहल की
खासियत और मिठास इतनी स्वादिष्ट है कि झारखंड के बाहर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, नई दिल्ली के लोग यहां के कटहल के मुरीद हो चुके हैं। मधुपुर अनुमंडल क्षेत्र से पिछले तीन दशक से व्यापक
पैमाने पर कटहल, वेल, जामुन, शरीफा एकत्रित कर दूसरे राज्यों में रेल मार्ग एवं सड़क मार्ग से भेजा जाता है। मनरेगा से इसे जोड़ने की जरूरत : मनरेगा के तहत यह काम बहुत बढि़या ढंग से हो सकता है।
व्यक्तिगत भूमि मालिकाना व्यक्ति की हो लेकिन सामुदायिक जमीन पर ग्राम सभा को मालिकाना हक दिया जाए। इससे ग्राम सभा का एक कोष भी बनेगा और ग्राम सभा स्वावलंबी भी बनेगी। मधुपुर से बेल बड़े पैमाने
पर बिहार और बंगाल में जाता है। जहां इसका इस्तेमाल औषधि निर्माण कार्य में किया जाता है। यह पहल मधुपुर में हो तो रोजगार के सृजन होंगे। किसान आत्मनिर्भर हो सकते हैं। बात महुआ की करें, तो इसका
पेड़ बहुतायत संख्या में है। महुआ का फूल एवं बीज (कोढी) का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है। मधुपुर इलाके में जामुन फल बड़े पैमाने पर उत्पादित होता है जिसका सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
इसके संरक्षण और संवर्धन में ग्राम सभाओं को मालिकाना हक सौंपा जाना चाहिए। संस्थाओं और ग्राम सभाओं को इस काम में लगाया जाना चाहिए। जरूरत है कि सरकार व नेतृत्व देने वाले सक्षम लोग मजबूत
इच्छाशक्ति दिखाएं और वनोपज से जुड़े उधम को उद्योग का स्वरूप देने की पहल करे।