टप्पल से भट्ठा पारसौल तक वेस्ट में भी जान गंवाते रहे हैं किसान

टप्पल से भट्ठा पारसौल तक वेस्ट में भी जान गंवाते रहे हैं किसान

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वेस्ट यूपी में भी हक के लिए किसान जान गंवाते रहे हैं। अलीगढ़ का टप्पल हो या नोएडा का भट्ठा पारसौल, किसानों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हुए। चार दिन पहले गाजियाबाद के मंडोला में पुलिस और


किसानों के... __ वेस्ट यूपी में भी हक के लिए किसान जान गंवाते रहे हैं। अलीगढ़ का टप्पल हो या नोएडा का भट्ठा पारसौल, किसानों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हुए। चार दिन पहले गाजियाबाद के मंडोला


में पुलिस और किसानों के बीच टकराव हो गया। लाठीचार्ज में 32 किसान घायल हो गए और 56 को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। मेरठ के शताब्दीनगर में जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर बीते ढाई साल से धरना चला आ


रहा है। यहां किसान कई बार हक की मांग के लिए पानी की टंकी पर चढ़कर आत्महत्या का प्रयास कर चुके हैं। गाजियाबाद में लोनी के पास स्थित मंडोला गांव में शुक्रवार को आवास विकास परिषद के निर्माण


कार्य को रुकवाने पहुंचे किसानों और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ। पहले किसानों ने सरकारी जेसीबी पर कब्जा जमा लिया। अफसरों ने समझाने की कोशिश की, मगर किसान नहीं माने। इस पर पुलिस ने किसानों पर


लाठियां बरसा दीं, जिसमें दर्जनों किसान घायल हो गए। गुस्साए किसानों ने भी पुलिस पर मिट्टी के ढेले फेंकने शुरू कर दिए। पुलिस ने 56 महिला-पुरुषों को हिरासत में लिया तो किसानों ने


दिल्ली-सहारनपुर स्टेट हाईवे-57 जाम कर दिया। 14 अगस्त 2010 को अलीगढ़ के टप्पल में किसानों और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष हुआ। करीब 18 गांवों के बीस हज़ार से ज्यादा किसान मथुरा से अलीगढ तक बन रहे


एक्सप्रेस वे पर बढ़े मुआवजे के लिए कई दिन से जमे हुए थे। 14 अगस्त की शाम को यहां पुलिस के साथ हुई झड़प में पीएसी के एक सूबेदार और तीन किसानों की मौत हो चुकी गई। सैंकड़ों सरकारी और गैर सरकारी


वाहन आग के हवाले कर दिए गए। तत्कालीन सीएम ने अलीगढ और मथुरा के पुलिस कप्तानों को हटा दिया और मारे गए किसानों के परिजनों को पांच-पांच लाख देने की घोषणा की। इस मुद्दे पर संसद की कार्यवाही तक


ठप हुई। सात मई 2011 को नोएडा़ के भट्टा-पारसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में पुलिस और किसानों के बीच हिंसक संघर्ष में दो किसान और दो पुलिसकर्मियों की जान चली गई। तत्कालीन डीएम डीएम दीपक


अग्रवाल के पैर में गोली लग गई जिसके बाद पुलिस ने किसानों को घरों से निकाल-निकालन लाठियां बरसाईं। यहां साठ से ज्यादा  किसान गंभीर घायल हुए और दर्जनों पर गंभीर मुकदमे दर्ज किए गए।  पीएम


तत्काल उठाएं कदम देश भर में किसान मुश्किल में हैं। मध्य-प्रदेश और महाराष्ट्र के किसान वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। फसलों का दाम मिल नहीं रहा। जमीन अधिग्रहण होता है तो मुआवजा नहीं मिलता। यूपी


में भी हालात ठीक नहीं हैं। अंदर ही अंदर किसानों में आक्रोश धधक रहा है। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वह  किसानों को फसलों का सही दाम दिलाने को तत्काल पुख्ता व्यवस्था करें। देश के सारे किसान एक


बार कर्ज मुक्त किए जाएं और उन्हें सस्ता, खाद, बीज, कीटनाशक मुहैया कराए जाएं।  राकेश टिकैत, प्रवक्ता भाकियू