हरि नाम जपने वाले को नहीं आती विपत्ति: मुरारी बापू

हरि नाम जपने वाले को नहीं आती विपत्ति: मुरारी बापू

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CHITRAKOOT NEWS - महाकवि गोस्वामी तुलसीदास को राममय प्रेरणा दात्री सहधर्मिणी रत्नावली की जन्मभूमि महेवाघाट में चल रही श्रीरामकथा के तीसरे दिन शिवचरित्र का व्याख्यान राष्ट्रीय संत मुरारी बापू


ने किया। कहा कि हरि नाम... हिन्दुस्तान टीम चित्रकूटMon, 8 April 2019 11:38 PM Share Follow Us on __ महाकवि गोस्वामी तुलसीदास को राममय प्रेरणा दात्री सहधर्मिणी रत्नावली की जन्मभूमि महेवाघाट


में चल रही श्रीरामकथा के तीसरे दिन शिवचरित्र का व्याख्यान राष्ट्रीय संत मुरारी बापू ने किया। कहा कि हरि नाम जपने वाले को विपत्ति नहीं आती। अगर आएगी भी तो, बाधा नहीं डालती। तुलसी ज्योति हैं


तो रत्ना दीया हैं। दोनों के कारण हमें श्रीरामचरितमानस का प्रकाश मिला, जो संसार में मानस का प्रकाश झलक रहा है। ज्योति न होती तो श्रीरामचरितमानस का उजाला न होता। संत कृपा सनातन संस्थान के


तत्वावधान में रामकथा के तीसरे दिन मुरारी बापू ने कहा कि दीया जहां भी रखो वहां प्रकाश ही प्रकाश दिखेगा, यही दीया रत्नावली हैं। रत्नावली की शादी 12 वर्ष की आयु में एवं गवना 16 वर्ष की आयु में


हुआ था। 27 वर्ष की उम्र में रत्ना को सोती हुई छोंड़कर गोस्वामी तुलसीदास चले गए थे। जागने पर रत्नावली ने कहा था कि अगर वह मुझे जगाकर जाते मैं उनके पैर तो छू लेती। प्रत्येक विवाहित स्त्री का


गुरु उसका पति है और प्रत्येक विवाहित पति का गुरु उसकी स्त्री है। विवाहित स्त्री को गुरुओं के पास जाने की जरूरत नहीं है। कहा कि नारी, साधू श्रीरामचरितमानस रत्न हैं। रत्नावली रत्नों की माला


हैं। पं दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्ना प्रकाट्य है और रत्नावली घाट की शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, स्कंदमाता, कालरात्रि, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, गौरी, कात्यायनी सिद्धिदात्री हैं। इन नौ रूपों में


रत्ना दिखती है। नारी रत्न है। कहा कि रामकथा सुनते-सुनते लिप्त हो जाओ तो बहुत मजा आएगा। मानस रत्नों की खान है। पत्नी व पति को वस्त्र व व्यंजन मनपसंद लाकर देना चाहिए। रत्ना ने गोस्वामी


तुलसीदास के जीवन में रामरस भर दिया। रत्ना समाज सुधारक भी रही हैं। रामकथा के तीसरे दिन श्रोता भारी संख्या में राम रसपान करने के लिए पंडाल में सुबह से पहुंचने लगे थे। कथा के बाद श्रद्धालु


भक्तों ने भंडारे में पहुंच प्रसाद ग्रहण किया। राम मूल है, रूप बदलता है मुरारी बापू ने कहा कि समय-समय पर रामकथा नूतन है। राम मूल हैं, रूप बदलता है स्वरूप नहीं। कैकई व मंथरा के प्रसंग सुनाते


हुए कहा कि निम्न मानसिकता वालों को बहुत अधिक आदर नहीं देना चाहिए, यह विपत्ति को न्योता देना है। कहा कि खुदा के खौफ से अनपढ़ गलती नहीं करते, चोरी वही करते हैं जिनके घर में किताब होती है।