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केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में तीमारदारों की बेरहमी से पिटाई के मामले में अफसरों की लापरवाही उजागर हुई है। जांच टीम ने जब सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग मांगी तो पता चला कैमरे खराब हैं। आरोप हैं कि
घटना को... हिन्दुस्तान टीम लखनऊSat, 18 May 2019 11:45 AM Share Follow Us on __ केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में तीमारदारों की बेरहमी से पिटाई के मामले में अफसरों की लापरवाही उजागर हुई है। जांच टीम
ने जब सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग मांगी तो पता चला कैमरे खराब हैं। आरोप हैं कि घटना को अंजाम देने से पहले कर्मचारियों ने कैमरे बंद कर दिए थे। उसके बाद तीमारदारों की पिटाई की। केजीएमयू का
सालाना बजट करीब 910 करोड़ रुपए है। मरीज-तीमारदार, डॉक्टर व कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव बना। 64 भवनों के लिए करीब 350 सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला
हुआ। एक करोड़ 22 लाख रुपये की लागत से 225 कैमरे खरीद गए। 50 कैमरे से परिसर के विभिन्न स्थानों में लगाए गए थे। बाकी कैमरे अभी भी डिब्बे में कैद हैं। ी हैं। चार मई को काकोरी निवासी फैजान (27)
सड़क हादसे में घायल हो गया था। परिवारीजन मरीज को गंभीर हाल में रात करीब 12.45 बजे ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे। रिश्तेदार रिजवान का आरोप था कि कैजुअल्टी में डॉक्टरों ने करीब 20 मिनट तक मरीज को
नहीं देखा। वह दर्द से तड़प रहा था। कुछ समय बाद फैजान की मौत हो गई थी। इलाज में कोताही का आरोप लगाने पर कर्मचारियों और तीमारदारों में भिड़ंत हो गई थी। सुरक्षागार्ड- कर्मचारियों ने चैनल बंद
तीमारदारों को लाठी-डंडे और रॉड से बेरहमी से पीटा था। ट्रॉमा सेंटर में 23 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। आठ नए कैमरे लगाए गए हैं। 15 कैमरे करीब 10 साल पुराने हैं। कर्मचारियों पर सीसीटीवी कैमरे
खराब करने का आरोप बेबुनियाद हैं। डॉ. संदीप तिवारी, प्रवक्ता, ट्रॉमा सेंटर, केजीएमयू