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NAVDUNIA BHOPAL CULUMN: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा में अवसर तलाशने का मंत्र जिस सकारात्मक सोच के साथ दिया था, उसी मंशा से शिवराज सरकार ने उसे आत्मसात भी किया। By LALIT KATARIYA Edited
By: LALIT KATARIYA Publish Date: Sat, 17 Apr 2021 12:12:07 PM (IST) Updated Date: Sat, 17 Apr 2021 04:49:43 PM (IST) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा में अवसर तलाशने का मंत्र जिस सकारात्मक
सोच के साथ दिया था, उसी मंशा से शिवराज सरकार ने उसे आत्मसात भी किया। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के माध्यम से नया करने की दिशा में कदम भी बढ़ाए, मगर जब कोरोना संकट दोगुना ताकत से लौट आया तो
अधिकारियों ने इसे अलग-अलग तरह से लिया। कुछ ने संक्रमण के बहाने स्वयं को सुरक्षित दायरे में कैद कर लिया तो कुछ मौका मिलते ही सक्रिय भूमिका में आ गए। दरअसल, यह उनके लिए स्वयं को मुख्यधारा में
लाने का एक अवसर भी है क्योंकि सत्ता परिवर्तन के बाद से कुछ अधिकारी हाशिये पर थे। यही वजह है कि इन्होंने पूरी शिद्दत से दिए गए लक्ष्य को पूरा करके खुद को साबित करने में पूरा दम लगा दिया।
हालांकि, उनके इस जज्बे का मूल्यांकन कोरोना संकट गुजर जाने के बाद होगा, फिर भी उम्मीद पर तो दुनिया कायम है। दिन में नजर आ गए तारे कोरोना संकट ने अच्छे-अच्छों को दिन में तारे दिखा दिए हैं। जो
दावा करते नहीं थकते थे कि उनकी चलती है, उन्हें भी इस संकटकाल ने अहसास दिला दिया कि समय बड़ा बलवान होता है। वित्त विभाग के अधिकारियों की पूछपरख अन्य विभाग की तुलना में अधिक होती है क्योंकि सभी
का उससे वास्ता पड़ता है। बात सही भी है, पर जब मौका आया तो कोई काम नहीं आया। दरअसल, विभाग के काफी अधिकारी कोरोना संक्रमित हैं। एक अधिकारी तो विभाग में ज्वाइन करते ही संक्रमित हो गए। किसी को
अस्तपाल में जगह चाहिए थी तो किसी के परिचित को रेमडेसिविर इंजेक्शन, मगर अधिकारी चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर पाए। यही स्थिति अन्य विभाग के अधिकारियों की भी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों
ने तो फोन उठाने बंद कर दिए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सबको मदद चाहिए, पर कुछ चीजें तो उनकी सीमा में भी नहीं हैं। जब जागो, तभी सवेरा कहते हैं कि जब जागो तभी सवेरा होता है। ऐसा ही कुछ पिछले
दिनों सामान्य प्रशासन विभाग के साथ हुआ। कोरोना संक्रमण की स्थिति देखते हुए शासन ने तय किया कि मंत्रालय सहित प्रदेश स्तरीय कार्यालय में कम से कम कर्मचारियों को बुलाया जाए। इसे लेकर सामान्य
प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए। इससे कर्मचारियों ने राहत की सांस ली और अगले दिन से ही इस पर अमल शुरू हो गया। मगर यह व्यवस्था तो सिर्फ कोरोना कर्फ्यू के लिए थी। जब गलती का अहसास हुआ तो तत्काल
संशोधित आदेश निकाला गया। इसमें साफ किया गया कि 25 फीसद कर्मचारियों की उपस्थिति की व्यवस्था सीमित अवधि के लिए है। दरअसल, इसके पहले भी रोटेशन के आधार पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की
व्यवस्था लागू हुई थी, मगर उसका दुरुपयोग अधिक हुआ। कई कर्मचारी लंबे समय तक कार्यालय ही नहीं आए और काम का भार अधिकारियों को उठाना पड़ा। मिल ही गया मन का काम मन का काम मिले तो उसे करने का अलग ही
मजा होता है। हाल ही में मंत्रालय स्तर पर हुए परिवर्तन में प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव को मन का काम मिल गया। देवास कलेक्टर रहते हुए उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में खूब काम किया था। इससे न
सिर्फ उनका नाम हुआ बल्कि इससे किसानों की आर्थिक मदद भी हुई। अब उन्हें एक बार फिर इसी दिशा में काम करने का मौका मिला है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा के माध्यम से जल संरचनाओं को
बनाने की दिशा में काम कर रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कह दिया है कि मनरेगा में अगले दो माह तक सिर्फ जल संरक्षण के काम होंगे। केंद्र सरकार की मंशा भी यही है कि बारिश की एक-एक बूंद
को सहेजा जाए। अब देखना यह है कि उमराव दूसरी पारी में इस मंशा को किस तरह से पूरा करते हैं।