भटकती रही सवारियां नहीं मिला रोडवेज का सहारा

भटकती रही सवारियां नहीं मिला रोडवेज का सहारा

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- दिनभर सड़कों पर नहीं चली परिवहन निगम की रोडवेज बसें - प्रस्तावित रोड सेफ्टी बिल 2014 के के विरोध का रहा असर DEHRADUN : सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा प्रस्तावित रोड सेफ्टी बिल ख्0क्ब् के विरोध


का असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला। बुधवार रात क्ख् बजे से परिवहन निगम की रोडवेज बसों का पहिया जाम रहा। थर्सडे को दिन भर आईएसबीटी, रिस्पना और मसूरी बस अड्डे पर सवारियां घूमती रही, लेकिन


एक भी बस नहीं चलने से पब्लिक को मुसीबत झेलनी पड़ी। बमुश्किल शाम को फ्.फ्0 बजे के बाद कुछ बसों का संचालन शुरू हो पाया, लेकिन इससे पहले जो हुआ उससे पब्लिक खासा परेशान रही। इस गर्मी के मौसम में


यात्री बसों के लिए भटकते रहे लेकिन उन्हें अपने गंतव्य तक जाने के लिए वाहन नहीं मिल पाया। महासंघ के आवाहन पर हुआ चक्का जाम केन्द्रीय परिवहन महासंघ के आवाहन पर चल रहे इस आन्दोलन के तहत


उत्तराखंड में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद्, उत्तराखंड रोडवेज इंप्लॉइज यूनियन, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन, उत्तराखंड राज्य पथ परिवहन कर्मचारी यूनियन और उत्तरांचल परिवहन


मजदूर संघ का समर्थन रहा। इसके चलते ऑल ओवर उत्तराखंड में परिवहन निगम की गाडि़या नहीं चली। राज्य में सभी डिपो कार्यालयों पर रोडवेज कर्मियों ने सभाएं और धरना प्रदर्शन करते हुए आन्दोलन को अपना


समर्थन दिया। राजधानी दून में इसका मेन केन्द्र आईएसबीटी रहा, जहां सभी यूनियन के पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे। रोडवेज कर्मियों ने अड्डे के अंदर से एक भी गाड़ी बाहर नहीं निकलनी दी। परिवहन


मंत्री का फूंका पुतला उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने विरोध स्वरूप दोपहर में आईएसबीटी के बाहर केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का पुतला फूंका। कर्मचारियों स्पष्ट कहा कि अगर नए


प्रस्तावित रोड सेफ्टी बिल में ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स के खिलाफ बिंदुओं को शामिल किया, तो वह और भी उग्र आन्दोलन करेंगे। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी,


क्षेत्रीय मंत्री केपी सिंह, हरेन्द्र कुमार, नीरज चौधरी, चंद्रमोहन, कलम सिंह,दीपक शाह, परमजीत सिंह, विनय जोशी। वहीं रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद् की ओर से प्रदेश महामंत्री रामचंद्र रतूड़ी,


दिनेश गुसांई, अनुराग नौटियाल, प्रेम सिंह रावत, शिवनारायण तिवारी आदि शामिल रहे। क् करोड़ रुपए का लॉस उत्तराखंड परिवहन निगम के पास वर्तमान में करीब क्फ्भ्0 बसों का बेड़ा है। प्रति दिन यह बसें


विभिन्न रूट पर चलती हैं। लेकिन बुधवार रात से थर्सडे दोपहर तक गाडि़यों का पहिया जाम रहा। हालांकि फ्.फ्0 बजे के बाद कुछ गाडि़यों का संचालन शुरू हो गया था। परिवहन निगम की प्रति दिन की इनकम करीब


क् करोड़ फ्0 लाख के करीब है। ऐसे में अनुमान के तौर पर परिवहन निगम को रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के चलते करीब क् करोड़ रुपए का चूना जरूर लगा है। लॉन्ग रूट का मेन साधन है बसें प्रदेश के


पहाड़ी क्षेत्र पर अधिकतर लॉन्ग रूट पर परिवहन निगम की बसों का ही आवागमन रहता है। ऐसे में यात्रियों को अपने गंतव्य तक जाने के लिए निगम की रोडवेज बसों का ही सहारा रहता है। उत्तराखंड में कुमाऊं


मंडल हो या फिर गढ़वाल मंडल देहरादून से हर क्षेत्र के लिए गाडि़यां जाती है, लेकिन थर्सडे इन सभी गाडि़यों का चक्का जाम रहा। प्राइवेट ऑपरेटर्स ने भी दिया समर्थन देहरादून से विकासनगर, पॉवटा


साहिब, कालसी, सहसपुर आदि क्षेत्र में आईएसबीटी से चलने वाले प्रावइेट ऑपरेटर्स ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया। ऐसे में इन रूटों पर भी सवारियों को गाडि़या नहीं मिल पाई ------ हमारा मेन


उद्देश्य पूरा हो गया है। हड़ताल हमारी बुधवार रात क्ख् बजे से गुरूवार रात क्ख् बजे तक थी, लेकिन यात्री भी हमारे ही हैं। हम अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं। इसलिए हमने उनकी परेशानियों को समझते


हुए बसों का संचालन फ्.फ्0 बजे से शुरू कर दिया है। -रामचंद्र रतूड़ी ,प्रदेश महामंत्री,उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद् ------------ केन्द्र सरकार के समक्ष हमें विरोध प्रकट करना था वह


हम कर चुके हैं। यात्रियों की पीड़ा हम समझते हैं। इसलिए दोपहर में जिन वॉल्वो बसों में पहले से रिजर्वेशन था, उन्हें हमने अड्डे से रवाना किया है। हड़ताल के चलते अधिकतर यात्री अड्डे पर नहीं


पहुंचे हैं। शाम को लोकल रूट पर यात्रियों की संख्या देखते हुए बसों का संचालन किया जाएगा। -केपी सिंह, क्षेत्रीय मंत्री, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ------------- इसके लिए चल रहा है


आन्दोलन -ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स की विभिन्न मांगे हैं, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं -परिवहन निगम के समानांतर प्राइवेट ऑपरेटर्स को विभिन्न रूटों पर स्टेज कैरिज परमिट नहीं दिए जाने चाहिए। -परिवहन


विभाग के कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले काम को प्राइवेट फर्मो को न दिया जाए। -एक्सीडेंटल घटनाओं में कोर्ट की कार्रवाई का ही प्रावधान रहे, जिसके तहत आसानी से गाड़ी रिलीज हो जाए और ड्राइवर


की जमानत भी हो जाए।