Dispute over fees: केंद्रीय कानून और छत्तीसगढ़ फीस अधिनियम को लेकर पालकों में भ्रांतियां

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DISPUTE OVER FEES: छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर पूछा, क्या किसी भी नाम से फीस लेना केंद्रीय कानून का उल्लंघन नहीं। By AZMAT ALI Edited By: AZMAT ALI Publish Date:


Sun, 04 Apr 2021 04:03:03 PM (IST) Updated Date: Sun, 04 Apr 2021 04:03:03 PM (IST) रायपुर। DISPUTE OVER FEES: छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर एक बार फ‍िर फीस के विषय


पर बहस छेड़ दी है। प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने बताया कि छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआई ने ट्यूशन फीस परिभाषित नहीं किया है। छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020


में जो फीस की परिभाषा दी गई है, उसमें प्राइवेट विद्यालयों को किसी भी नाम से फीस लेने की छू दे दी गई है। लेकिन शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधानों के अनुसार विद्यालयों को डोनेशन नहीं लेना


है। डोनेशन और लेट फीस पर आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार छूट नहीं है। पॉल का कहना है कि केंद्रीय कानून और छत्तीसगढ़ फीस अधिनियम को लेकर आम जनता में बहुत भ्रांतियां है। शिक्षण शुल्क या


ट्यूशन फीस और प्राइवेट विद्यालयों में ली जा रही फीस को लेकर पालक परेशान है। पालकों को यह नहीं समझ आ रहा है कि उन्हें प्राइवेट विद्यालयों के द्वारा फीस के नाम से लूटा जा रहा है और उसके समाधान


का कोई प्रयास सरकार द्वारा क्यों नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार फीस को लेकर एक सुस्पष्ट परिभाषा क्यों नहीं दे रही है। अध्‍यक्ष ने बताया कि कई प्राइवेट विद्यालयों के द्वारा स्कूल और संस्था


दोनों एकाउंट में पैसे लिए जा रहे हैं। स्कूल एकाउंट में फीस और संस्था के एकाउंट में डोनेशन लिया जा रहा है। इस प्रकार पालकों को सुनियोजित ढंग से लूटा जा रहा है। पॉल ने शिक्षा सचिव से पूछे


क्या प्राइवेट विद्यालयों को किसी भी नाम से फीस लेने की छूट देना केंद्रीय कानून का उल्लघंन तो नहीं है? प्राइवेट विद्यालयों को दो एकाउंट में पैसे लेने की अनुमति किसने दी है? क्या प्राइवेट


विद्यालयों को मदवार फीस लेना अनिवार्य नहीं है?